गांवों में बेरोजगारी एक बार फिर बढ़ने लगी है. खरीफ सीजन की बुवाई की खत्म होने के साथ ही 19 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.1 फीसदी हो गई.12 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में यह 6.34 फीसदी थी.सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी यानी CMIE के नए आंकड़ों के मुताबिक यह बेरोजगारी दर 25 मार्च को लॉकडाउन से पहले के बेरोजगारी के आंकड़े से कम है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है इसमें अभी और इजाफा होगा, क्योंकि जुलाई में रोजगार में बढ़ोतरी की संभावना नहीं दिख रही है.


शहरी इलाकों में रोजगार की रफ्तार धीमी 


19 जुलाई को राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.94 फीसदी हो गई. इससे पिछले सप्ताह यह बेरोजगारी दर 7.44 फीसदी थी. सबसे  ज्यादा चिंता शहरी बेरोजगारी को लेकर है. बेरोजगारी दर अभी भी ऊंचे स्तर पर है और इसमें गिरावट नहीं दिख रही है.CMIE के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान शहरी बेरोजगारी दर में मामूली गिरावट आई और यह 9.92 से घट कर 9.78 फीसदी पर आ गई. इससे जाहिर होता है इकनॉमी के औपचारिक सेक्टर में अब भी रोजगार की स्थिति पैदा नहीं हो रही है. विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में जॉब मार्केट की स्थिति खराब बनी रहेगी.ग्रामीण इलाकों में खरीफ सीजन की बुवाई अब ढलान पर है. मानसून की बारिश कई इलाकों में बढ़ सकती है और बाढ़ और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से रोजगार सेक्टर प्रभावित हो सकता है.


शहरी इलाकों में कोरोनावायरस काबू करने के लिए लगे लॉकडाउन की   वजह से भी जॉब मार्केट प्रभावित हुआ है. फैक्टरियों और बिजनेस प्रतिष्ठानों में काम शुरू होने की धीमी से भी रोजगार प्रभावित हो रहा है. खरीफ की बुवाई खत्म होने से दबाव अब ग्रामीण रोजगार पर बढ़ता हुआ दिखेगा. इससे गांवों में रोजगार घटेगा. लेकिन अभी भी शहरों में रोजगार की स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है.