देश में बेरोजगारी 19 सप्ताह के टॉप पर पहुंच चुकी है. 9 मई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान देश में बेरोजगारी दर 8.67 फीसदी पर पहुंच गई. इससे साफ है कि इकोनॉमी रोजगार पैदा करने में नाकाम हो रही है.


सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक शहरों और महानगरों में बेरोजगारी दर ज्यादा है. 9 मई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान बेरोजगारी दर 164 बेसिस प्वाइंट बढ़ कर 11.72 फीसदी पर पहुंच गई. पिछले कुछ महीनों से बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है. जनवरी में बेरोजगारी दर 6.52 फीसदी पर थी वहीं फरवरी में यह 6.89 फीसदी पर पहुंच गई. मार्च में यह 6.5 फीसदी लेकिन अप्रैल में बढ़कर 7.97 फीसदी पर आ गई. 


शहरी के साथ ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ी बेरोजगारी 


सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक ग्रामीण इलाके में 9 मई को खत्म हुए सप्ताह में बेरोजगारी दर 7.29 फीसदी पर पहुंच गई. इससे पहले सप्ताह के दौरान यह 7.35 फीसदी पर थी. वहीं 4 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह के दौरान बेरोजगारी दर 8.58 फीसदी पर थी. सीएमआईई के सीईओ महेश व्यास ने कहा कि लॉकडाउन से बेरोजगारी दर में इजाफा नहीं हो रहा है. लेकिन यह लोगों को काम पर नहीं जाने दे रहा है. इससे रोजगार के मौके कम हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में रोजगार में इजाफा इस बात पर निर्भर करेगा कि हम कोरना संक्रमण को किस हद तक नियंत्रित कर पाते हैं. लेकिन फिलहाल स्थिति यह है कि यह लगातार बढ़ रहा है और इसे रोजगार दर पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है. एक्सएलआरआई के प्रोफेसर और जाने-माने श्रम अर्थशास्त्री श्याम सुंदर का कहना है कि देश में 21 राज्यों किसी ने किसी रूप में  लॉकडाउन और कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. जाहिर है इससे शहरों में बेरोजगारी तो बढ़ेगी ही. 


रिवर्स माइग्रेशन तेज 


बहरहाल कर्नाटक, दिल्ली और केरल से जिस तरह से रिवर्स माइग्रेशन हो रहा है उससे शहरी बेरोजगारी में और तेज इजाफा होने की  आशंका है. यूपी में जिस तरह से मनरेगा के तरह काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है, उससे ऐसा लगता है कि बेरोजगारी दर अब ग्रामीण इलाकों में ज्यादा तेजी से बढ़ सकती है. 


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