बेरोजगारी में कमी नहीं, शहरी इलाकों में जुलाई-सितंबर में बेरोजगारी दर 8.4 फीसदी रही
राज्यवार आंकड़ों के लिहाज से सबसे ज्यादा बेरोजगार उत्तर प्रदेश में है. इसके बाद केरल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का नंबर है.
देश में बिजनेस गतिविधियों में थोड़ा इजाफा देखा है लेकिन रोजगार के मोर्चे पर हालात अभी भी काफी खराब हैं. देश में कोरोनावायरस संक्रमण से लगे आर्थिक झटकों से चोट खाई अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां गई हैं और उनकी आय घटी है. सरकार के आर्थिक पैकेज भी कारगर नहीं हो रहे हैं क्योंकि ये लोगों में विश्वास नहीं पैदा कर पा रहे हैं. आम लोगों की ओर से खर्च करने में हिचक से भी इकनॉमी के सेंटिमेंट को चोट पहुंची है. यही वजह है कि आर्थिक गतिविधियों में इतनी रफ्तार नहीं आ पाई है कि लोगों को रोजगार मिल सके.
रोजगार बढ़ने की रफ्तार बेहद धीमी
शहरी इलाकों में जुलाई-सितंबर के दौरान बेरोजगारी दर अभी भी 8.4 फीसदी पर है. पिछले साल की इस अवधि में यह 8.9 फीसदी थी. हालांकि यह गिरावट दिखा रही है लेकिन अभी भी यह काफी ज्यादा है. जुलाई-सितंबर, 2018 में यह 9.7 फीसदी थी. इस तरह आंकड़ों में देख कर लग रहा है कि बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है. लेकिन यह 8 फीसदी की बेरोजगारी दर बहुत ज्यादा है.
यूपी में बेरोजगारी सबसे अधिक
राज्यवार आंकड़ों के लिहाज से सबसे ज्या बेरोजगार उत्तर प्रदेश में है. इसके बाद केरल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का नंबर है. शहरी इलाकों का बेरोजगारी डेटा तिमाही अवधि में रिलीज किया जाता है. यह डेटा Annual Periodic Labour Force Survey के डेटा से अलग होता है, जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके के आंकड़े इकट्ठा किए जाते हैं. इससे दोनों इलाकों में रोजगार और बेरोजगारी के आंकड़ों का पता चलता है. नए आंकड़ों के मुताबिक देश महिलाओं के बीच बेरोजगारी दर में गिरावट आई है. जुलाई-सितंबर में महिलाओं बेरोजगारी दर 9.7 फीसदी थी जबकि अप्रैल-जून, 2019 में बेरोजगारी दर 11.3 फीसदी थी. जुलाई-सितंबर, 2018 में बेरोजगारी दर 8 फीसदी थी.
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