प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने पेंशन के मोर्चे पर सरकारी कर्मचारियों को बढ़िया तोहफा दिया है. यह तोहफा नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) से नाराज चल रहे सभी सरकारी कर्मचारियों को फायदा पहुंचाने वाला है. इसके लिए सरकार ने शनिवार को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की शुरुआत करने का ऐलान किया, जिसे नेशनल पेंशन स्कीम के विकल्प के तौर पर पेश किया जा रहा है.


डिफॉल्ट नहीं, विकल्प है यूनिफाइड पेंशन स्कीम


यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को सरकार ने डिफॉल्ट के तौर पर नहीं पेश किया है. अभी से करीब दो दशक पहले जब नेशनल पेंशन स्कीम शुरू की गई थी, तो उसने पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की जगह ली थी. यानी एनपीएस को ओपीएस की जगह डिफॉल्ट पेंशन स्कीम बनाया गया था. अभी यूपीएस को डिफॉल्ट के तौर पर नहीं, बल्कि विकल्प के तौर पर पेश किया गया है. मतलब सभी पात्र सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस या यूपीएस में पसंदीदा विकल्प को चुनने की सुविधा मिलने वाली है.


लोकसभा चुनाव में तेज हुई थी बहस


यूपीएस को लाए जाने की भूमिका तैयार करने में ओपीएस बनाम एनपीएस की बहस का सबसे बड़ा योगदान है. सरकारी कर्मचारियों का एक हिस्सा लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने की मांग कर रहा था. कई राजनीतिक दल पेंशन के विवाद को चुनावी मुद्दा बना रहे थे, जिसकी गूंज हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी सुनाई दे रही थी. उससे पहले कई राज्य सरकारों ने खुद को एनपीएस से अलग कर लिया था और ओपीएस को फिर से बहाल कर दिया था.


सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन की गारंटी


अब ओपीएस बनाम एनपीएस की पुरानी बहस में यूपीएस का भी नाम जुड़ गया है. तीनों स्कीम को तुलनात्मक देखने से पहले एक बार यूनिफाइड पेंशन स्कीम में दिए गए फायदों के बारे में जान लेते हैं. इस स्कीम में कम से कम 25 साल नौकरी करने वालों के लिए बेसिक सैलरी के आधे के बराबर पेंशन की गारंटी दी गई है. इसका कैलकुलेशन रिटायरमेंट के पहले के अंतिम 12 महीनों की बेसिक औसत सैलरी के हिसाब से होगा. कम से कम 10 साल, लेकिन 25 साल से कम नौकरी के मामले में प्रोपोर्शन के आधार पर पेंशन का कैलकुलेशन होगा. कम से कम 10 साल की नौकरी करने वालों को इस स्कीम में 10 हजार रुपये की मंथली पेंशन की गारंटी मिल रही है. इसमें फैमिली पेंशन की भी गारंटी है, जो पेंशनर की मौत के समय मिल रहे भुगतान के 60 फीसदी के बराबर होगा.


ग्रेच्युटी के साथ में मिलेगा एकमुश्त भुगतान


कुल मिलाकर देखें तो यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस का मतलब ‘एश्योर्ड पेंशन, मिनिमम पेंशन, एश्योर्ड फैमिली पेंशन’ है. यूनिफाइड पेंशन स्कीम में सरकार ने ग्रेच्युटी के अलावा लम्प-सम पेमेंट का भी प्रावधान किया है. इस पेमेंट का कैलकुलेशन नौकरी के हर 6 महीने के आधार पर किया जाएगा. रकम नौकरी के हर 6 महीने के बदले मंथली पे के 10 फीसदी प्लस डीए के बराबर होगा. यानी अगर कोई व्यक्ति 10 साल नौकरी करता है तो उसे 20 छमाही के हिसाब से एकमुश्त भुगतान मिलेगा. इसे कैलकुलेट करने के लिए मंथली के 10वें हिस्से में डीए को जोड़कर उसे 20 से गुना करना होगा.


ओपीएस और एनपीएस का मिश्रण है यूपीएस


यूपीएस की बात करें तो इसमें एक तरह से सरकार ने एनपीएस और ओपीएस के बीच सामंजस्य बिठाने का प्रयास किया है. ओपीएस में रिटायर होने वाले कर्मचारी को पेंशन के रूप में अंतिम सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा मिलता था. यूपीएस में भी इस तरह की गारंटी दी गई है. एनपीएस में ऐसी गारंटी नहीं थी, बल्कि उसमें कंट्रीब्यूशन के हिसाब से पेंशन की रकम निर्धारित हो रही है. ग्रेच्युटी के प्रावधान को यूपीएस में भी बरकरार रखा गया है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों के लिए जीपीएफ यानी जनरल प्रोविडेंट फंड का प्रावधान था, जिससे रिटायरमेंट के समय उन्हें एकमुश्त भुगतान मिलता था. इसके समतुल्य यूपीएस में भी एकमुश्त भुगतान की व्यवस्था की गई है. एनपीएस में कर्मचारी अपने कंट्रीब्यूशन में एकमुश्त भुगतान और मंथली पेंशन के हिस्से को चुन सकते हैं. एनपीएस में अधिकतम 60 फीसदी फंड को एकमुश्त निकाल सकते हैं, जबकि बाकी के कम से कम 40 फीसदी फंड का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने में करना होता है, जिससे मंथली पेंशन मिलती है.


ये भी पढ़ें: मोदी सरकार की नई पेंशन स्कीम से किसको बड़ा लाभ, कैसे उठाएं फायदा, स्टेप-बाई-स्टेप जानिए