Budget 2022: रियल एस्टेट सेक्टर भी बीते दो सालों से कोविड-19 वैश्विक महामारी के खतरे से अछूता नहीं रहा है. लेकिन अर्थव्यवस्था के आश्चर्यजनक दमखम और तेजी से रिकवरी करने के साथ, रियल एस्टेट सेक्टर फिर से अपनी पुराने स्तरों पर वापस आता दिख रहा है. रियल एस्टेट करीब करीब सभी मानकों को फिर से हासिल करता जा रहा है जो कि रिकवरी के लिए आधार माने जा सकते हैं. 


रियल एस्टेट सेक्टर को प्रवासी मजदूरों के माइग्रेशन की चुनौती, सप्लाई चेन की दिक्कतों, नगदी की समस्या और अन्य कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. काफी हद तक कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी प्रॉपर्टी बाजार के लिए वरदान के रूप में काम किया, क्योंकि इस दौरान आम लोगों ने अपना घर होने के महत्व को समझा है. उन्हें महसूस हुआ है कि अपना एक घर होने पर कई तरह की सुरक्षा, स्थिरता और सुखद अहसास मिलता है जो कि इस तरह के संकट को लेकर पहले महसूस नहीं किया गया था. 


कोविड महामारी ने अपने घर के लिए साल भर बनी रहने वाली मांग को प्रेरित किया है और इसे एक मजबूत आधार बना दिया है. इस मांग ने वैसे लोगों को पहली बार घर खरीदते देखा जो हमेशा से किराएदार के तौर पर रहते आए थे. घर खरीदने वाले वर्ग में युवा मिलेनियल्स का प्रवेश भी देखा है. इसके साथ ही मौजूदा घर मालिकों को एक बड़े आकार के घरों में अपग्रेड करने के एक उपयुक्त अवसर की तलाश करते और प्रॉपर्टी में निवेश के तौर पर एक सुरक्षित दांव लगाने वाले निवेशकों को आकर्षित होते हुए देखा है. इसके साथ ही वेल्थ क्रिएशन के लिए अपने फंड्स को रियल एस्टेट में निवेश करते हुए भी देखा गया है. 


वर्ष 2021 संकटों से पार निकलने के लिए अपना दमखम और संघर्ष करने की इच्छा दिखाने के बारे में था और आगामी वर्ष 2022 को ’ईयर ऑफ इम्पलीमेंटेशन यानि कार्यान्वयन के वर्ष’ के रूप में देखा जाएगा- जिसमें हमें अपनी योजनाओं को अमलीजामा पहनाना है. इसके साथ ही ये साल आर्थिक और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के लिए एक लिटमस टेस्ट भी साबित होगा. ब्लैक स्वान घटना के बाद, डायवर्जेंस रूझानों के साथ जीवन शैली और व्यापार निरंतरता रणनीतियों पर अनिश्चित प्रभाव, रियल एस्टेट क्षेत्र आश्चर्यजनक रूप से मजबूत एंडयूजर मांग, सरकारी प्रोत्साहन और रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज की कार्यक्षमता में मौलिक बदलाव के साथ अपनी खोई हुई लय में वापस आ रहा है. आने वाले वार्षिक बजट के साथ, उद्योग के साथ-साथ घर खरीदारों के लिए टैक्स को युक्तिसंगत बनाने, मांग को प्रोत्साहित करने और एक अनुकूल निवेश माहौल को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत कदम उठाने की उम्मीद है. 



बजट को लेकर रियल एस्टेट सेक्टर की इच्छा सूची में शामिल कुछ प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं-



  • पर्सनल इनकम टैक्स को 42 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया जाना चाहिए. 


 



  • सबवेंशन योजनाओं पर प्रतिबंध लगाया जाएगा क्योंकि यह घर खरीदारों के पक्ष में नहीं है. चूंकि इनमें से एक बड़े वर्ग के पास अपने निर्माणाधीन होम लोन के साथ-साथ घर के किराए पर ईएमआई दोनों का भुगतान करने की क्षमता नहीं है.


 



  • घर खरीदने को बढ़ावा देने के लिए लोन का साइज और मात्रा बढ़ाये जाने की जरुरत है. आरबीआई ने 2017 में एक अधिसूचना के माध्यम से 30 लाख रुपये या उससे कम के किफायती घरों के लिए होम लोन के लिए 90 प्रतिशत तक के ऋण-से-मूल्य अनुपात (एलटीवी) की अनुमति दी थी. बजट में एमआईजी और एचआईजी सेगमेंट में समान सुविधा के विस्तार की अनुमति प्रदान कर सकता है।


 



  • इनकम टैक्स कानून के तहत होमलोन के पूरे ब्याज पर टैक्स छूट की अनुमति दी जाए.  विकल्प में, घर खरीदारों को प्रोत्साहित करने और समग्र मांग को बढ़ावा देने के लिए आईटी अधिनियम 196 की धारा 24 के तहत वर्तमान सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जानी चाहिए. 
     

  • जब हाउस प्रॉपर्टी की बिक्री से दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स) की बात आती है तो टैक्सेशन को तार्किक बनाना होगा. इसे इक्विटी शेयरों के लिए धारा 112 के समान 10 प्रतिशत पर आंका जाना चाहिए. साथ ही, लंबी अवधि की पूंजीगत संपत्ति के रूप में पात्रता प्राप्त करने के लिए हाउस प्रॉपर्टी संपत्ति की होल्डिंग की अवधि मौजूदा 24/36 महीने से घटाकर 12 महीने कर दी जानी चाहिए.


 



  • मेट्रो शहरों में ज्यादा लोगों को घर खऱीदने के लिए प्रोत्साहित करने खातिर अफोर्डेबल हाउसिंग की सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये किए जाने की जरुरत है. इससे घर खरीदने वालों के साथ कंपनियां भी सेक्टर में निवेश के लिए आकर्षित होंगी. साथ ही, पहली बार घर खरीदने वालों और महिला घर खरीदारों को प्रेरित करने के लिए सीएलएसएस और पीएमएवाई योजनाओं के लाभों का विस्तार किया जाना चाहिए. 



कहीं भी रहकर काम करने की प्रवृत्ति कामकाजी आबादी के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है और ऐसे में किराये के आवास की मांग में भी तेजी आएगी. करियर मोबिलिटी, रिमोट और हाइब्रिड वर्क मॉडल सरकार को किरायेदारों के लिए टैक्सेशन बेनिफिट के रूप में रेंटल हाउसिंग पर जोर देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जैसे एचआरए टैक्स छूट में वृद्धि एक ऐसा विकल्प है. अगर ये नया उभरता वर्ग भारत के मेट्रो शहरों में रहता है या किसी अन्य शहर में रहता है तो कर्मचारी के वेतन का 50 प्रतिशत तक और किसी अन्य शहर में 40 प्रतिशत तक कटौती की अनुमति है. यदि बजट इस सीमा को बढ़ाया जाता है तो यह सभी रेंटल हाउसिंग को प्रोत्साहित करेगा. रेंटल होम के कंस्ट्रक्शन को प्रोत्साहित करने के लिए रेंटल इनकम पर पूरी तरीके से टैक्स छूट देने से सेक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा. 




बजट में रियल एस्टेट सेक्टर में जलवायु जोखिम, नेट जीरो इमीशन, कार्बन न्यूट्रेलिटी, ग्रीन लाइफ और स्वच्छ ऊर्जा जैसे जटिल मुद्दों को संबोधित करने के लिए रोडमैप तैयार करते समय अपने ईएसजी प्रतिज्ञाओं को प्राप्त करने की सुविधा प्रदान किया जा सकता है. बिल्डिंग कोड और अन्य रेगुलेशन फ्रेमवर्क को फिर से परिभाषित करने के माध्यम से सुसंगत नीति वातावरण विकसित करके इसे प्राप्त किया जा सकता है.


टिकाऊ जीवन के दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर कुशल ऊर्जा पहल को अपनाने के लिए इंसेटिव और प्रोत्साहन के साथ इंडस्ट्री को प्रोत्साहित ग्रीन इंजीनियरिंग में लंबे सफर को तय करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. 


इस प्रकार से कहा जा सकता है कि हाउसिंग और इसके अफोर्डेबिलिटी के मुद्दों को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए सरकार, शीर्ष अधिकारियों और उद्योग संगठनों एवं निकायों के बीच साझेदारी की लगातार बढ़ती इच्छाशक्ति के साथ मांग और सप्लाई ईकोनॉमिक्स में अंतराल को पाटने की आवश्यकता है. भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए उद्योग अनुकूल नीतिगत ढांचे और बजट प्रोत्साहन के साथ सार्थक प्रगति करना जारी रखेगा. 


 


(लेखक डॉ. निरंजन हीरानंदानी, नारेडको के वाइस चेयरमैन और एमडी, हीरानंदानी ग्रुप हैं)