Budget 2022: कोरोना महामारी के मद्देनजर बजट में हेल्थकेयर सेक्टर पर रहेगा जोर, एसोचैम के सर्वे में खुलासा
India Budget 2022: कोरोना महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य क्षेत्र के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने पर बजट में जोर रहने वाला है. सर्वे में इनकम टैक्स घटाने की भी मांग की गई.
Budget 2022: एक फऱवरी 2022 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब बजट पेश करेंगी तो इस बार के उनके बजट पर स्वास्थ्य क्षेत्र पर एक बार फिर बड़ा फोकस रहने वाला है. कोरोना महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य क्षेत्र के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने पर बजट में जोर रहने वाला है और इसके लिए बजट में बड़े धन का प्रावधान किया जा सकता है. बिजनेस चैंबर एसोचैम द्वारा किए गए सर्वे में ये बातें सामने आई है.
हेल्थकेयर बड़ी प्राथमिकता
एसोचैम ने बजट से उम्मीदों को लेकर सर्वे किया है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 47 फीसदी लोगों के मुताबिक 2022-23 के बजट में हेल्थकेयर पर सबसे बड़ी प्राथमिकता रहने वाली है. कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया के हेल्थकेयर सिस्टम की कड़ी परीक्षा ली है. सरकार के त्वरित प्रयासों और फ्रंटलाइन वर्करस के अथक प्रयासों के चलते संकट को टालने और सार्वजनिक हेल्थकेयर सिस्टम में जो खामियां थी उसे भरा जा सके. सर्वे के मुताबिक वित्त मंत्री की अगली बड़ी प्राथमिकताओं में एमएसएमई, ऊर्जा, आधारभूत ढांचा और टेक्नोलॉजी पर फोकस रहने वाला है.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर हो खर्च ज्यादा
वहीं देश का उद्योगजगत चाहता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार द्वारा सबसे ज्यादा खर्च का प्रावधान किया जाना चाहिए. सरकार को आधारभूत ढांचे में निवेश बढ़ाना चाहिए. साथ मैन्युफैकचरिंग को इंसेटिव देकर प्रोत्साहन देना चाहिए जिससे ज्यादा रोजगार पैदा किए जा सके. एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल दीपक सूद ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ने कोविड-19 के विभिन्न रूपों के रुक-रुक कर होने वाले मुकाबलों से निपटने के लिए जबरदस्त लचीलापन दिखाया था, हालांकि, इस बनाए रखने के लिए, खपत-आधारित विकास को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता थी और इसका मतलब है आम आदमी और महिला के लिए राहत प्रदान करना.
इनकम टैक्स को घटाया जाए
एसोचैम के सर्वे में 40 फीसदी लोगों ने कहा कि वित्त मंत्री को निजी मांग और खपत को बढ़ावा देने के लिए अन्य उपायों के साथ इनकम टैक्स के भार को कम करना चाहिए. लगभग 31 फीसदी लोगों ने कहा कि गरीब परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) पिरामिड के निचले भाग में एक मांग बढ़ाने में मदद कर सकती है. जीएसटी बजट के दायरे में नहीं आता है, लेकिन उद्योगजगत को उम्मीद है कि वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल से जीएसटी रेट्स के युक्तिकरण की उम्मीद है. इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर केंद्र और राज्यों के लिए पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने पर सहमत होना अब जरुरी हो गया है.
रोजगार सृजण पर रहे फोकस
सर्वे में जब पूछा गया कि सरकार को रोजगार सृजन की गति को बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए इसके जवाब में सर्वे में भाग लेने वालों ने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे और आवास क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करे. निजी कंपनियों को और अधिक लोगों को नियुक्त करने के लिए इंसेटिव देना चाहिए. विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण से रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने और कृषि क्षेत्र के लिए बाजार पहुंच को मजबूत करने का दोहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अतिरिक्त, समग्र बुनियादी ढांचा विकास विभिन्न उद्योगों के विकास का समर्थन करेगा, जिससे कई गुना बेहतर असर देखने को मिलेगा.
संकट में एमएसएमई
भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाली एमएसएमई क्षेत्र को कोरोना महामारी से काफी झटका लगा है. इस सेक्टर को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान 3 लाख करोड़ रुपये की ईसीएलजी योजना जैसे सरकारी उपायों के बावजूद, एमएसएमई को मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा है.
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