Budget 2022-23: एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. ये बजट वो उस समय पेश कर रही हैं जब हर आदमी महंगाई के बोझ तले दबा है. खासतौर से वेतनभोगी जो महंगाई से तो परेशान है ही साथ में उसके लिए कर्ज भी महंगा हो चुका है. महंगाई के साथ साथ महंगी ईएमआई लोगों के जेब पर डाका डाल रही है. उसपर से भारी भरकम टैक्स का बोझ. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वित्त मंत्री महंगाई से राहत देने और लोगों पर टैक्स के बोझ को घटाने के लिए कोई बड़ा कदम उठाएंगी? क्या वित्त मंत्री आने वाले बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करेंगी?
वेतनभोगियों पर इनकम टैक्स का बोझ !
मौजूदा समय में जिनकी सलाना टैक्सेबल आय 2.5 लाख रुपये तक हैं उन्हें इस इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. 2.50 से 5 लाख रुपये के बीच जिनकी आय हैं तो उनके ऊपर 5 फीसदी के दर से यानि 12500 रुपये टैक्स की देनदारी बनती है. लेकिन इनकम टैक्स के नियम 87ए के तहत सरकार 12500 रुपये का टैक्स रिबेट देती है. यानि जिनकी टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से कम हैं उन्हें कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. लेकिन जिनका टैक्सबेल इनकम 5 लाख रुपये से एक रुपये भी ज्यादा है उन्हें इस रिबेट का लाभ नहीं मिलता है. ऐसे लोग महंगाई से तो परेशान है हीं साथ में आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद ईएमआई के महंगे होने से भी परेशान हैं. उसपर महंगे खाने-पीने की चीजें, दूध की महंगाई, महंगी एलपीजी, पेट्रोल-डीजल और सीएनजी-पीएनजी ने बजट बिगाड़ रखा है.
5 लाख रुपये हो टैक्स छूट की सीमा!
आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन के मुताबिक 2014 में टैक्स स्लैब की न्यूनतम सीमा 2.50 लाख रुपये थी और अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये थी. लेकिन इतने साल हो गए टैक्स स्लैब के न्यूनतम और अधिकतम लेवल में कोई बदलाव नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर लोगों को राहत दी जाए. उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स छूट की सीमा को 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये सलाना कर देना चाहिए. साथ ही टैक्स स्लैब की अधिकतम सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर देना चाहिए. फिलहाल 10 लाख रुपये से ज्यादा के टैक्सेबल इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है.
टैक्स स्लैब में बदलाव से अर्थव्यवस्था को फायदा
वेद जैन के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2014 के बाद जबरदस्त विकास किया है. बीएसई सेंसेक्स और एनएसई का निफ्टी नई ऊंचाईयों को छू चुका है. सरकार के टैक्स कलेक्शन में जबरदस्त उछाल आया है. खपत भी इस दौरान बढ़ी है. लेकिन एक चीज है जिसमें सरकार ने बदलाव नहीं किया वो है इनकम टैक्स स्लैब. टैक्स स्लैब में कोई बदलाव इस दौरान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश टैक्स बेस बढ़ाना है जिसके चलते आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या बढ़ी है. यही वजह है कि सरकार ने इनकम टैक्स के न्यूनतम स्लैब रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया है. उन्होंने कहा कि सरकार टैक्स स्लैब बढ़ाती है तो टैक्स के रूप में होने से बचत को टैक्सपेयर्स जरुरी चीजों के खरीदारी में खर्च करेगा और निवेश करेगा जिसका फायदा अर्थव्यवस्था को मिलेगा. इससे देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी.
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