Union Budget 2024: केंद्र में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में सरकार सत्ता में आई है जो तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट 23 जुलाई, 2024 को पेश करने जा रही है. मोदी सरकार के इस बजट से मिडिल क्लास को बहुत उम्मीदें हैं. मध्यमवर्ग और खासतौर सैलरीड क्लास टैक्स में छूट के साथ बोझ को कम करने की उम्मीदें पाल रखा है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सरकार नौकरीशुदा लोगों को बजट में टैक्स रेट घटाकर सौगात देगी? एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर टैक्स के मोर्चे पर टैक्सपेयर्स को राहत सरकार देती भी है तो सरकार के खजाने पर इसका बहुत ज्यादा बोझ नहीं आएगा. 


सरकार के खजाने पर आएगा मामूली बोझ 


गोल्डमैन सैक्स ग्लोबल इंवेस्टमेंट रिसर्च (Goldman Sachs Global Investment Research) ने बजट को लेकर रिपोर्ट तैयार किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर केंद्र सरकार अपने इनकम टैक्स पॉलिसी (Income Tax Policy) में बदलाव करने का बजट में फैसला लेती है तो हमारे एसेसमेंट के मुताबिक सरकार को जीडीपी (GDP) का 5 से 15 बेसिस प्वाइंट राजस्व का नुकसान सहना होगा और वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार पर राजकोषीय भार (Fiscal Impluse) केवल 2-7 बेसिस प्वाइंट का आएगा. 


टैक्सपेयर्स को राहत देने की मांग 


सरकार पर टैक्सपेयर्स को राहत देने का भारी दबाव है. वित्त मंत्री सीतारमण के साथ बिजनेस चैंबर्स के प्रतिनिधियों से लेकर अर्थशास्त्रियों की जो प्री-बजट मीटिंग हुई है उसमें इन लोगों से वित्त मंत्री से देश में खपत को बढ़ाने के लिए टैक्स के बाझ को कम करने की सलाह दी है. बिजनेस चैंबर सीआईआई ने 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आने वाले 20 लाख रुपये तक के आय वालों को इनकम टैक्स के मोर्चे पर राहत देने की मांग की है. नए इनकम टैक्स रिजीम में 15 लाख रुपये सालाना आय वालों को 30 फीसदी के दर से टैक्स चुकाना होता है तो पुराने इनकम टैक्स रिजीम में 10 लाख रुपये से ज्यादा टैक्सेबल इनकम पर 30 फीसदी टैक्स देता होता है. पुराने टैक्स रिजीम के तहत वित्त वर्ष 2012-13 से 10 लाख रुपये से ज्यादा आय वालों को 30 फीसदी टैक्स स्लैब में शामिल किया गया था. उसके बाद ये इनकम लिमिट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. 


डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में भारी उछाल 


इनकम टैक्स कलेक्शन में हाल के वर्षों में जोरदार उछाल देखने को मिला है. वित्त वर्ष 2013-14 में इनकम टैक्स कलेक्शन जीडीपी का 2.1 फीसदी हुआ करता था जो वित्त वर्ष 2019-20 में 2.5 फीसदी पर आ गया है. कोरोना महामारी के बाद देश में लगी प्रकार की बंदिशें जब खत्म हो गई तो आर्थिक गतिविधि के बढ़ने के बाद वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी के मुकाबले इनकम टैक्स कलेक्शन का रेश्यो बढ़कर 3 फीसदी हो चुका है. जाहिर है 10 वर्षों में इनकम टैक्स कलेक्शन में भारी उछाल देखने को मिला है लेकिन टैक्सपेयर्स को कलेक्शन में बढ़ोतरी के मुताबिक राहत नहीं दी गई है.  खजाने पर बोझ पड़ने का हवाला दिया जाता रहा है. लेकिन गोल्डमैन सैक्स के रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के खजाने पर टैक्स रेट घटने का बहुत ज्यादा असर नहीं देखने को मिलेगा. 


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