वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट का इंतजार जल्द ही समाप्त होने वाला है. दो सप्ताह बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने वाली हैं. जैसे-जैसे बजट नजदीक आ रहा है, लोगों की उम्मीदें भी तेज होती जा रही हैं. इस बीच खबरों में ऐसा दावा किया जा रहा है कि सरकार आगामी बजट में ग्रामीण भारत पर विशेष ध्यान दे सकती है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट की मानें तो केंद्र सरकार ग्रामीण भारत पर बजट में खास ध्यान दे सकती है. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में डिमांड को मजबूत बनाना चाहती है. उसके लिए सोशल सेक्टर की विभिन्न योजनाओं पर खर्च बढ़ाकर पैसे को अंतिम छोर तक पहुंचाने का उपाय अपनाया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो हमें बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों के लिए ज्यादा फंड देखने को मिल सकते हैं.
रिजर्व बैंक ने अकेले दिया इतना योगदान
ये कयास अनायास भी नहीं हैं. दरअसल पूर्ण बजट पेश करने से पहले सरकार का खजाना भरा हुआ है. अकेले रिजर्व बैंक ने सरकार को मालामाल कर दिया है. रिजर्व बैंक ने हाल ही में केंद्र सरकार को लाभांश के रूप में 2.1 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम भुगतान किया है. यह किसी एक वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक के द्वारा सरकार को दिए गए लाभांश का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
बजट के साढ़े चार फीसदी के बराबर डिविडेंड
यह आंकड़ा कितना बड़ा है, उसका सही अंदाजा इस तथ्य से लगा सकते हैं कि रिजर्व बैंक के द्वारा दिया गया डिविडेंड फरवरी में आए अंतरिम बजट के कुल साइज के लगभग साढ़े चार फीसदी के बराबर है. इस साल लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी में वित्त वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट आया था, जिसमें सरकार ने कुल खर्च लगभग 47.66 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान व्यक्त किया था.
रेटिंग एजेंसी इक्रा को ये उम्मीद
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा भी अनुमान जता चुकी है कि सरकार आगामी बजट में खर्च के टारगेट को बढ़ा सकती है. इक्रा का अनुमान है कि सरकार बजट में सोशल सेक्टर के लिए कोई नई योजना पेश कर सकती है या पुरानी योजनाओं पर खर्च बढ़ा सकती है. इक्रा को इस बजट में सरकार का रेवेन्यू एक्सपेंडिचर 37 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहने का अनुमान है. यानी रेवेन्यू एक्सपेंडिचर अंतरिम बजट की तुलना में 50 से 60 हजार करोड़ रुपये ज्यादा हो सकता है.
लगातार बढ़ रहा इन योजनाओं पर खर्च
सोशल सेक्टर की योजनाओं पर सरकार के द्वारा खर्च बढ़ाए जाने की उम्मीद इस कारण से भी है कि पिछले कुछ बजट से लगातार इस मोर्चे पर बढ़ोतरी की जा रही है. अंतरिम बजट में सरकार ने सेंट्रल सेक्टर की योजनाओं के लिए 14.9 लाख करोड़ रुपये और सेंट्रली स्पॉन्सर्ड स्कीम्स के लिए 5 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. दो साल पहले यानी वित्त वर्ष 2022-23 में दोनों का आंकड़ा क्रमश: 14.4 लाख करोड़ रुपये और 4.4 लाख करोड़ रुपये रहा था.
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