वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट की तारीख सामने अ चुकी है. लोकसभा का बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू होने जा रहा है और उसके अगले दिन यानी 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूर्ण बजट पेश करेंगी. पूर्ण बजट की तारीखें नजदीक आते ही विभिन्न उद्योगों और आम लोगों की अपेक्षाएं भी जोर पकड़ती जा रही हैं. बजट से लगी उम्मीदों में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर इनकम टैक्स से ज्यादा छूट की मांग भी प्रमुख है.


अभी मिलती है टैक्स से इतनी छूट


इंश्योरेंस कंपनियों ने मोदी सरकार से हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर मिलने वाली टैक्स छूट बढ़ाने की मांग की है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर कोई व्यक्ति 25 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. सीनियर सिटीजंस के लिए यह लिमिट 50 हजार रुपये है.


छूट की लिमिट यहां तक बढ़ाने की मांग


मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंश्योरेंस उद्योग से जुड़े एक्सपर्ट्स की मांग है कि सेक्शन 80डी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को इंडिविजुअल्स यानी 60 साल से कम एज के लोगों के लिए बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया जाए. इसी तरह, सीनियर सिटीजंस के लिए डिडक्शन की सीमा 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये करने की मांग की गई है. उनका तर्क है कि प्रीमियम पर डिडक्शन लिमिट बढ़ाने से बुजुर्ग पर्याप्त कवरेज लेंगे, जिससे हेल्थकेयर से जुड़े खर्चों में हुई वृद्धि को कवर किया जा सकेगा.


हेल्थ इंश्योरेंस पर कैसे मिलती है टैक्स छूट?


हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय आप जो प्रीमियम भरते हैं, उसे सेक्शन 80डी के तहत क्लेम करने पर प्रीमियम की रकम को आपकी इनकम से घटा दिया जाता है, जिससे टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है. टैक्सेबल इनकम कम होने से टैक्स देनदारी घट जाती है. मान लीजिए आपकी इनकम 8 लाख रुपये है और आपने हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम के रूप में 20 हजार रुपये दिए हैं. डिडक्शन क्लेम करने पर आपकी टैक्सेबल इनकम 7.80 लाख रुपये रह जाएगी और टैक्स का कैलकुलेशन 8 लाख के बजाए 7.80 लाख रुपये पर होगा. सेक्शन 80डी का फायदा फिलहाल ओल्ड टैक्स रिजिम में मिलता है. इसे न्यू टैक्स रिजिम का हिस्सा बनाने की मांग भी लंबे समय से की जा रही है.


जीएसटी कम करने की डिमांड


बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गैर-जीवन बीमा कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट पर जीएसटी को घटाकर 5 फीसदी करने की मांग दोहराई है. अभी हेल्थ इंश्योरेंस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी देना होता है. जीएसटी दर घटाने से हेल्थ इंश्योरेंस को आम आदमी के लिए किफायती बनाने में मदद मिलेगी. साथ ही हेल्थ इंश्योरेंस की लोगों के बीच पैठ बढ़ेगी.


इंश्योरेंस इंडस्ट्री को उम्मीद है कि सरकार न्यू टैक्स रिजिम में बदलाव करके लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट को टैक्स एग्जम्पशन के लिए शामिल करेगी. फिलहाल ओल्ड टैक्स रिजिम में सेक्शन 80सी के तहत लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर डेढ़ लाख रुपये तक का डिडक्शन लिया जा सकता है.


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