Budget 2024: बैंकों में डिपॉजिट्स घटती जा रही है. वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के लिए बैंकों ने जो अपडेट्स जारी किए हैं उसके मुताबिक बैंकों की ओर से दिया जाने वाला क्रेडिट जहां बढ़ा है डिपॉजिट्स उस हिसाब से नहीं बढ़ रहा है. ये माना जा रहा है कि बैंकों में सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट करने की बजाये लोग अपनी गाढ़ी कमाई को एसआईपी (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में डाल रहे हैं, जहां उन्हें ज्यादा रिटर्न मिल रहा है. बैंकों में डिपॉजिट्स घटने की ये बड़ी वजह है.
म्यूचुअल फंड के समान बैंक डिपॉजिट बने आकर्षक
इसे देखते हुए एसबीआई रिसर्च ने बजट में म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार के समान सरकार को डिपॉजिट के ब्याज दर पर लगने वाले टैक्स में बदलाव करने की मांग की है. अपने नोट में एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने सभी परिपक्वता वाले डिपॉडिट्स पर एकसमान टैक्स ट्रीटमेंट का सुझाव दिया है. एसबीआई रिसर्च ने कहा, वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू नेट फाइनेंशियल सेविंग्स घटकर जीडीपी के 5.3 फीसदी पर आ गई है. वित्त वर्ष 2023-24 में इसके और घटने का अनुमान है और नेट फाइनेंशियल सेविंग्स जीडीपी का 5.4 फीसदी रह सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि म्यूचुअल फंड के समान डिपॉजिट रेट्स को आकर्षित बनाया गया तो इससे घरेलू फाइनेंशियल सेविंग्स में बढ़ोतरी होगी चालू खाता और बचत खाता (CASA) बढ़ेगा. रिपोर्ट के मुताबिक ये रकम डिपॉजिटर्स के हाथों में जाएगा. इससे लोग ज्यादा रकम खर्च करेंगे जिससे सरकार को एडिशनल रेवेन्यू प्राप्त होगा.
बैंकों में डिपॉजिट रखना है सुरक्षित
एसबीआई रिसर्च के मुताबिक बैंक डिपॉजिट बढ़ने से कोर डिपॉजिट बेस में स्थिरता आएगी साथ ही घरेलू बचत के बढ़ने से फाइनेंशियल सिस्टम में स्टैबिलिटी देखने को मिलेगी. रिपोर्ट के मुताबिक देश का बैंकिंग सिस्टम ज्यादा रेग्यूलेटेड और भरोसेमंद है जबकि दूसरे निवेश और बचत के साधन में ज्यादा उतार-चढ़ाव और जोखिम है. बैंक डिपॉजिट्स पर संचय के आधार पर टैक्स लगाया जाता है जबकि दूसरे एसेट क्लास में रिडेम्प्शन पर ही टैक्स लगता है. एसबीआई रिसर्च ने इस विसंगति को दूर करने की मांग की है.
5 लाख तक एफडी हो टैक्स फ्री
इससे पहले भी सरकार से बैक डिपॉजिट को आकर्षक बनाने के लिए 5 लाख रुपये तक के एफडी को टैक्स-फ्री करने की मांग की गई है. जिससे बैंक एफडी को दूसरे सेविंग प्रोडक्ट्स के मुकाबले आकर्षक बनाने में मदद मिल सके. नेशनल सेविंग स्कीम्स यानि एनएससी (NSC), म्यूचुअल फंड की ELSS स्कीम और बीमा कंपनियां टैक्स फ्री सेविंग प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराती है जिसमें निवेश पर निवेशकों को टैक्स छूट मिलता है. बैंकों ने इन सेविंग प्रोडक्ट्स के समान 5 लाख रुपये तक के फिक्स्ड डिपॉजिट को भी टैक्स-फ्री करने की मांग करते रहे हैं. बैंकों के डिपॉजिट पर ब्याज दरें बढ़ाने के बावजूद बेहतर रिटर्न और टैक्स-फ्री सेविंग के लिए निवेशक म्यूचुअल फंड की ओर मुखातिब हो रहे हैं जिसने बैंकों की परेशानी बढ़ा दी है.
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