Budget 2024: आशा भरी नजरों से बजट की ओर देख रहे किसान, क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूरी करेंगी उम्मीद
Nirmala Sitharaman: वित्त वर्ष 2024 में भारत के कृषि क्षेत्र की वृद्धि सिर्फ 1.8 फीसदी रह गई थी जबकि इकोनॉमी 8.2 फीसदी की रफ्तार से भाग रही है.
Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को उम्मीदों का बजट 2024-25 पेश करने वाले हैं. भारत के किसान भी उनकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. कृषि क्षेत्र के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हुई हैं. हालांकि, अब उनमें बड़े सुधार की जरूरत महसूस की जा रही है. वित्त वर्ष 2024 में भारत के कृषि क्षेत्र की वृद्धि 7 साल के निचले स्तर 1.8 फीसदी पर आ गई थी. यह भारतीय इकोनॉमी की विकास दर 8.2 फीसदी से काफी पीछे है. अन्य सेक्टर तो तेजी से आगे जा रहे हैं लेकिन कृषि धरातल में जाती दिखाई दे रही है.
खेती को डिमांड से जोड़ने की है आवश्यकता
किसान इन दिनों सिर्फ कुछ फसलों पर ही निर्भर हो गए हैं. इसके चलते अन्य खाद्य वस्तुओं की किल्लत हो रही है. भारत को दालों का आयात करना पड़ रहा है. अगर सरकार खेती को डिमांड से जोड़े तो किसानों की आय डबल हो सकती है. यही वजह है कि कृषि मंत्री ने घोषणा की है कि सरकार पूरी मूंग दाल एमएसपी पर खरीदेगी. खेतों के कई तरीके के इस्तेमाल पर सरकार को जोर देना पड़ेगा. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) जैसी योजनाएं इसमें फायदेमंद साबित हो सकती हैं. इसके अलावा डेयरी फार्मिंग जैसी गतिविधियों को भी बढ़ाना आवश्यक है. इसके लिए बजट से विशेष समर्थन की उम्मीद की जा रही है.
किसानों के लिए स्माल पेंशन स्कीम की है उम्मीद
किसाओं को उम्मीद है कि उनके लिए पेंशन की व्यवस्था सरकार करेगी. फिलहाल दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना (Pradhan Mantri Kisan Man Dhan Yojana) चलाई जा रही है. इसमें 3,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाती है. बजट में ऐसे किसानों को अटल पेंशन योजना से जोड़कर लाभ पहुंचाया जा सकता है. इससे करोड़ों किसानों को लाभ पहुंचेगा. साथ ही अधिकतम पेंशन 10,000 रुपये तक पहुंचाई जा सकती है.
एमएसपी नियमों में है बदलाव की चल रही डिमांड
इस बजट से एमएसपी (Minimum Support Price) को न्यूनतम मजदूरी के जैसा बनाए जाने की उम्मीद की जा रही है. इससे किसानों को उनकी लागत और मिलने वाले मूल्य की स्पष्ट जानकारी होगी. इससे किसानों को न्यूनतम आय की गारंटी मिलेगी और बाजार में उतार-चढ़ाव का जोखिम भी कम होगा. इसके साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है.
नैनो उर्वरक को दिया जाए बढ़ावा, एक्सपोर्ट बढ़ाया जाए
फर्टिलाइजर सब्सिडी जीडीपी का 0.50 फीसदी है. इसके साथ ही नैनो उर्वरकों के उपयोग को बढ़ाए जाने की जरूरत है. इसके लिए अतिरिक्त बजट आवंटन की आवश्यकता होगी. इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड को भी मजबूत करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है. फिलहाल एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट 55 अरब डॉलर के आसपास है. सरकार को इसे बढ़ाने के प्रयास बजट में करने होंगे.
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