Budget 2025: पेट्रोल-डीेजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की मांग, टैक्सपेयर्स को मिले टैक्स की मार से राहत!
Income Tax: नीति आयोग में प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक में अर्थशास्त्रियों ने भी टैक्स रेट्स घटाने की मांग की है जिससे डिमांड-खपत को बढ़ाया जा सके.
Budget 2025: देश में महंगाई के चलते खपत में कमी ने उद्योगजगत की चिंता बढ़ा दी है. मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी गोथ रेट (GDP Growth Rate) में गिरावट इस बात की तस्दीक करती है. ऐसे में सभी की नजरें नए साल में एक फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश होने वाले बजट पर है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण डिमांड और कंजम्प्शन को बढ़ाने के लिए क्या एलान करती हैं. देश की सबसे बड़ी बिजनेस चैंबर सीआईआई ने सरकार को बजट में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को घटाने का सुझाव दिया है जिससे खपत को बढ़ावा दिया जा सके.
पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का सुझाव
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश होने वाले बजट के लिए सीआईआई ने वित्त मंत्री सीतारमण को अपने सुझावों की फेहरिस्त सौंपी है. इन सुझावों में जो सबसे प्रमुख, डिमांड औ खपत को बढ़ाने पर है. इसके लिए बिजनेस चैंबर ने वित्त मंत्री को पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को घटाने का सुझाव दिया है जिससे कम इनकम वाले सेगमेंट के लेवल पर खपत को बढ़ाया जा सके. सीआईआई के मुताबिक ईंधन की ज्यादा कीमतों के चलते महंगाई बढ़ती है.
क्रूड ऑयल सस्ता पर पेट्रोल डीजल सस्ता नहीं!
सीआईआई के मुताबिक पेट्रोल के दामों में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी की हिस्सेदारी 21 फीसदी है जबकि डीजल के दामों में 18 फीसदी हिस्सा इसी टैक्स का है. मई 2022 के बाद से ही ग्लोबल क्रूड ऑयल कीमतों में 40 फीसदी कमी के बावजूद पेट्रोल डीजल की कीमतों में कमी नहीं की गई है. सीआईआई के मुताबिक एक्साइज ड्यूटी के घटाने से महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी साथ ही लोगों के डिस्पोजेबल इनकम में भी बढ़ोतरी आएगी. सीआईआई के डायरेक्ट जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, भारत के तेज विकास के लिए घरेलू खपत को बढ़ाना बेहद जरूरी है. लेकिन महंगाई के चलते लोगों की पर्चेजिंग पावर घटी है.
टैक्सपेयर्स पर घटे टैक्स का बोझ
सीआईआई ने टैक्सपेयर्स के लिए भी बड़ी राहत की मांग की है. बिजनेस चैंबर ने 20 लाख रुपये तक सालाना कमाने वालों के लिए इनकम टैक्स रेट्स को कम करने का सुझाव दिया है. चैंबर के मुताबिक इससे मांग और खपत को बढ़ाने में तो मदद मिलेगी ही पर साथ में इकोॉनमिक ग्रोथ रेट में उछाल आएगा और सरकार के लिए टैक्स रेवेन्यू में भी बढ़ोतरी आएगी.
सीआईआई ने कहा कि, पर्सनल इनकम टैक्सपेयर्स के टैक्स रेट और नॉर्मल कॉरपोरेट टैक्स रेट के बीच बड़ी खाई है. पर्सनल इमकम टैक्सपेयर्स के लिए अधिकतम टैक्स रेट 42.74 फीसदी है जबकि सामान्य कॉरपोरेट के लिए टैक्स रेट 25.17 फीसदी है जो बड़ा अंतर दिखा रहा है और ये बेहद ज्यादा है. सीआईआई ने कहा, महंगाई के चलते कम आय वालों और मध्यम आय वालों की खरीदारी करने की क्षमता पर असर पड़ा है.
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