Union Budget 2025: होमलोन के ब्याज पर टैक्स रिबेट की लिमिट डबल करने की मांग, 50 लाख तक घर पर मिले ब्याज में छूट!
Budget 2025 Expectations: घर की कीमतें आसमान छू रही हैं. ऐसे में बजट में वित्तमंत्री से सस्ते घर को बढ़ाना देने से लेकर होमलोन के ब्याज पर टैक्स रिबेट लिमिट को बढ़ाने की मांग की गई है.
Union Budget 2025: रियल एस्टेट कंपनियों का फोकस इन दिनों अफोर्डेबल हाउसिंग की जगह प्रीमियम और लग्जरी हाउसिंग हो चुका है. ऐसे में सस्ते घर की उम्मीद पाले लोगों के लिए घर का सपना दूर हो चुका है. एक तो महंगा घर, उसपर महंगा होमलोन और उसपर टैक्स की मार. ऐसे में घर का सपना देख रहे लोगों की उम्मीदें मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के दूसरे बजट से बहुत ज्यादा बढ़ गई है. क्योंकि देश की बड़ी आबादी और संभावित घर खरीदारों के लिए अफोर्डेबिलिटी और सस्ता घर मिलना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. ऐसे में रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े दिग्गजों ने वित्त मंत्री को सेक्टर को लेकर अपनी मांगों की फेहरिस्त सौंपी है.
नाईट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने वित्त मंत्री से बजट में अफोर्बिलिटी हाउसिंग, रेंटल हाउसिंग को इंसेटिव देने से लेकर टैक्स के लिहाज से आकर्षक बनाने का अनुरोध किया है.
अफोर्डेबल हाउसिंग को मिले बढ़ावा
50 लाख रुपये कम कीमत वाले अफोर्डेबल हाउसिंग के सेल्स की बिक्री 2018 में कुल हाउसिंग सेल्स की 48 फीसदी थी जो 2024 में घटकर 30 फीसदी पर आ गई है. जबकि इस अवधि में घरों के सेल्स में इजाफा देखने को मिला है. 2023 में अफोर्डेबल हाउसिंग के सेल्स में 16 फीसदी की गिरावट आई है और 2024 में भी सेल्स घटा है. इस सेगमेंट के घर खरीदार रेसिडेंशियल प्राइसेज में बढ़ोतरी से लेकर हाई कॉस्ट ऑफ लिविंग यानी महंगे जीवन यापन से प्रभावित हुए हैं. शिशिर बैजल ने कहा, प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 के लाभार्थियों को 8 लाख रुपये के लोन पर 4 फीसदी ब्याज में छूट मिलता है बशर्ते कुल लोन 25 लाख से ज्यादा ना हो और घर की कीमत 35 लाख रुपये से ज्यादा ना हो. लेकिन मेट्रो शहरों में ये लिमिट मायने नहीं रखता है. ऐसे में वित्त मंत्री को मेट्रो शहरों के लिए घर के वैल्यू की कीमत की लिमिट को बढ़ाकर 50 लाख रुपये करने की मांग की गई है.
5 लाख रुपये तक होम लोन के ब्याज पर मिले टैक्स रिबेट
अपने सुझाव में शिशिर बैजल ने अफोर्डेबल सेगमेंट के हाउसिंग मार्केट को बढ़ावा देने के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24(b) के तहत होम लोन के ब्याज पर टैक्स रिबेट की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये सालाना करने की मांग की है जो मौजूदा समय में 2 लाख रुपये है.
80सी में होम लोन के मूलधन पर अलग से मिले टैक्स छूट
उन्होंने अपने सुझाव में 80सी के तहत सालाना 1.50 लाख रुपये होम लोन के प्रिंसपल रीपेमेंट पर अलग से डिडक्शन का लाभ देने की मांग की है. मौजूदा समय में 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये का जो छूट मिलता है उसमें इंश्योरेंस, बच्चों की फीस से लेकर दूसरे टैक्स सेविंग इंस्टूमेंट और होम लोन प्रिंसपल अमाउंट भी शामिल है.
टैक्स बेनेफिट नियमों को बनाया जाए सरल
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 54 के तहत मौजूदा घर बेचने पर होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस का इस्तेमाल नई प्रॉपर्टी के खरीदने या बनाने में किया जा सकता है. अंडर-कंस्ट्रक्शन घर में निवेश कर टैक्स छूट हासिल करने के लिए पुराने घर के बेचने की तारीख से तीन साल के भीतर अंडर-कंस्ट्रक्शन घर का बनना जरूरी है तभी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस क्लेम किया जा सकता है.
शिशिर बैजल ने कहा, हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के पूरा होने में तीन साल से ज्यादा का समय लगता है इससे अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज पर कैपिटल गेन के सेटिंग-ऑफ में घर खरीदारों को दिक्कतें आती हैं. ऐसे में हम मांग करते हैं कि कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज की पूरा होने की समयसीमा को मौजूदा तीन के बजाय पांच साल कर दिया जाए. सेक्शन 54 में कहा गया है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस बेनेफिट पाने के लिए पुरानी संपत्ति की सेल्स से एक साल पहले या दो साल बाद नई हाउसिंग प्रॉपर्टी का खरीदा जाना जरूरी है. मौजूदा संपत्ति के सेल्स को पहले नई संपत्ति खरीदने के मामले में भी मानदंड को दो साल कर दिया जाना चाहिए.
ये भी पढ़ें