Union Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानी शनिवार (1 फरवरी 2025) को लगातार 8वां बजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाएंगी. यह उम्मीद जताई जा रही है कि आम बजट में कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि को सहारा देने और महंगाई से जूझ रहे मध्यम वर्ग को राहत देने के उपाय किए जाएंगे. भारतीय इतिहास में दो ऐसे वित्त मंत्री भी रह चुके हैं, जिन्हें बजट पेश करने का मौका नहीं मिल पाया.


ये दो वित्त मंत्री नहीं पेश कर पाए थे बजट


स्वतंत्र भारत के इतिहास में क्षितिज चंद्र नियोगी (केसी नियोगी) और हेमवती नंदन बहुगुणा (एच.एन. बहुगुणा) वित्त मंत्री होकर भी बजट नहीं पेश कर पाए थे. केसी नियोगी को त्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में (साल 1949) अंतरिम वित्त मंत्री नियुक्त किया गया था. वह एक जाने-माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर थे. वित्त मंत्री के तौर पर केसी नियोगी का कार्यकाल मात्र 35 दिनों का था, जिसके चलते वह बजट पेश नहीं कर सके थे. हालांकि उन्होंने आर्थिक नीतियों में स्थिरता लाने और स्वतंत्र भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने की दिशा में काम किया. 


बहुगुणा का कार्यकाल छोटा था


केसी नियोगी के बाद 1950 में जॉन मथाई ने वित्त मंत्री के रूप में स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया था. एक और वित्त मंत्री एच.एन. बहुगुणा भी भारत का बजट पेश नहीं कर पाए थे. उन्होंने साल 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्री का पद संभाला था और कुछ ही समय बाद राजनीतिक उथल-पुथल के चलते इस्तीफा दे दिया था. उनका कार्यकाल भी महज साढ़े पांच महीने का रहा था.


निर्मला सीतारमण को 2019 में भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनाया गया था. तब से उन्होंने सात बजट पेश किए हैं. स्वतंत्र भारत का पहला आम बजट 26 नवंबर, 1947 को देश के पहले वित्त मंत्री आर के शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था. पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और बाद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में वित्त मंत्री के तौर पर कुल 10 बजट पेश कर चुके हैं.


सबसे लंबा बजट भाषण किसके नाम


सबसे लंबा बजट भाषण सीतारमण ने एक फरवरी, 2020 को दो घंटे 40 मिनट का दिया था. साल 1977 में हीरूभाई मुलजीभाई पटेल का अंतरिम बजट भाषण अब तक का सबसे छोटा भाषण है, जिसमें केवल 800 शब्द हैं. बजट पारंपरिक रूप से फरवरी के आखिरी दिन शाम पांच बजे पेश किया जाता था.


साल 1999 में इसका समय बदला और टल बिहारी वाजपेयी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिंह ने सुबह 11 बजे बजट पेश किया. तब से बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाता है. इसके बाद 2017 में बजट पेश करने की तिथि बदलकर एक फरवरी कर दी गई, ताकि सरकार मार्च के अंत तक संसदीय मंजूरी की प्रक्रिया पूरी कर सके.


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