नई दिल्ली: सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया वित्तीय संकट में फंसी है. अब इसको लेकर केंद्र सरकार ने कहा है कि इसका निजीकरण करने के अलावा कोई उपाय नहीं है. नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कुछ समय से एयर इंडिया का कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसे अब जारी नहीं रखा जा सकता है. पुरी ने कहा, ''मैंने पहले भी कहा है, हमारे पास एयर इंडिया के निजीकरण के अलावा कोई उपाय नहीं है.''


उन्होंने कहा, ''एयरलाइनों से बातचीत के बाद बाजार बिगाड़ने वाली मूल्य नीति में कुछ कमी आई है, हम किराये को व्यवहारिक रखने का सुझाव देते हैं.'' पुरी ने कहा कि बाजार बिगाड़ने वाली मूल्य नीति अगर जारी रही तो कुछ और एयरलाइनों को दुकान समेटनी पड़ सकती है. साथ ही उन्होंने कहा एयरलाइन कंपनियों की खराब वित्तीय हालत के लिए केवल मूल्य स्पर्धा ही जिम्मेदार नहीं है. यह कई कारणों में से एक है.


बता दें कि सोमवार को एक अधिकारी ने दावा किया था कि एअर इंडिया को अगर खरीदार नहीं मिला तो अगले साल जून तक उसे परिचालन बंद करने के लिए मजूबर होना पड़ सकता है. एअर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'टुकड़ों - टुकड़ों' में पूंजी की व्यवस्था से लंबे समय तक गाड़ी नहीं चलाई जा सकती है.


एअर इंडिया के भविष्य को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच अधिकारी ने कहा कि 12 छोटे विमान खड़े हैं , इन्हें फिर से चलाने के लिए पूंजी की जरूरत है. एयरलाइन पर करीब 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और सरकार विनिवेश के तौर - तरीकों पर काम कर रही है.


अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करते हुए चेताया कि यदि अगले साल जून तक कोई संभावित खरीदार नहीं मिलता है तो एअर इंडिया भी जेट एयरवेज के रास्ते पर जा सकती है. उन्होंने कहा कि निजीकरण की योजनाओं के बीच सरकार ने कर्ज तले दबी कंपनी में और पूंजी निवेश करने से इनकार कर दिया है. इसकी वजह से एयरलाइन को " किसी तरह " टुकड़ों में पूंजी की व्यवस्था करके काम चलाना पड़ रहा है. इसके लंबे समय तक चलने की संभावना नहीं है.


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