मंदी की चर्चाओं के बीच बड़ी खबर, हजारों युवाओं को मिल सकता है रोजगार
मंदी के मौजूदा माहौल के बीच लगातार नौकरियां जाने की खबर आ रही हैं. लेकिन ऐसे में एक बेहद सुखद खबर टेलीकॉम क्षेत्र से आई है.
नई दिल्ली: मंदी के मौजूदा माहौल के बीच लगातार नौकरियां जाने की खबर आ रही हैं. लेकिन ऐसे में एक बेहद सुखद खबर टेलीकॉम क्षेत्र से आई है. आने वाले दिनों में एक बड़ी कंपनी में 60 हजार लोगों के लिए रोजगार के मौके उत्पन्न होने जा रहे हैं. बीते तकरीबन एक दशक से बंद पड़ी नोकिया की एसईजेड ईकाई दोबारा शुरू होने जा रही है. इसमें सीधे तौर पर लोगों को 10 हजार नौकरियां मिलेंगी जबकि 50 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा.
केंद्रीय टेलीकॉम एंव आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया, "चेन्नई के पास नोकिया की एसईजेड ईकाई बीते लगभग 10 सालों से बंद पड़ी थी. लेकिन अब यह ईकाई दोबारा से शुरू होने जा रही है." प्रसाद ने बताया कि दुनिया की सबसे बड़ी चार्जर और अडेपटर बनाने वाली कंपनी सेलकॉम्प ने नोकिया से यह बंद पड़ी इकाई खरीद ली है. कंपनी जल्द ही यहां उत्पादन शुरू करने जा रही है.
साथ ही प्रसाद ने कहा, "कंपनी इस इकाई में न सिर्फ भारतीय बाजार के लिए अपने उत्पादों का निर्माण करेगी, बल्कि यहां से बड़े पैमाने पर निर्यात भी करेगी."
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रविशंकर प्रसाद ने बताया कि कंपनी यहां पर बनने वाले उत्पादों का 70 फीसदी निर्यात करेगी. निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा चीन का होगा. प्रसाद ने बताया कि सेलकॉम्प इस इकाई को विकसित करने में अगले 5 साल के दौरान तकरीबन 2000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी.
एप्पल फोन भी हुए मेक इन इंडिया दुनिया की दिग्गज हैंडसेट निर्माता कंपनी एप्पल ने भी भारत में निर्माण शुरू कर दिया है. रविशंकर प्रसाद ने बताया कि एप्पल का पहला मॉडल एक्सआर है जो कंपनी ने भारत में बनाना शुरू कर दिया गया है. इलेक्ट्रोनिक्स निर्माण के क्षेत्र में भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है. एप्पल के भारत में बने फोन अब घरेलू बाजार में भी बिकेंगे और यहां से दूसरे देशों को निर्यात भी होंगे.
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इलेक्टॉनिक्स निर्यात दोगुना होने की उम्मीद प्रसाद ने बताया कि इलेक्टॉनिक्स निर्माण लगातार भारत में बढ़ रहा है. आज की तारीख में भारत में 268 मोबाइल फैक्टरियां हैं जो यहां निर्माण कर रही हैं. पिछले साल देश से 1.6 अरबर डॉलर का लेक्ट्रोनिक्स का निर्यात हुआ था जो कि इस साल दोगुना होने की उम्मीद है. इस साल यह आंकडा 3.2 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है.