नई दिल्लीः मोदी सरकार ने सत्ता में आने के लिए रोजगार बढ़ाने के कई लुभावने वादे किए थे पर अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक भारत में रोजगार बढ़ने की बजाए कम हो रहा है. युनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन यानी आईओएल की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी की समस्या का निपटारा होता नहीं दिख रहा है. साल 2017-18 में भारत में बेरोजगारी बढ़ने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं. यूनाइटेड नेशंस की लेबर रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नई नौकरियां पैदा होने का सिलसिला थम गया है.
युनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन यानी आईओएल की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में अर्थव्यवस्था की रफ्तार कम होने का असर रोजगार पर भी पड़ेगा. जारी आंकड़ों में कहा गया है कि भारत की मौजूदा बेरोजगारी 1 करोड़ 77 लाख के करीब है, जो 2017 में बढ़कर 1 करोड़ 78 लाख और उसके अगले साल 1 करोड़ 80 लाख तक पहुंचने की आशंका है.
हाल ही में सरकार की ओर से जारी अनुमान में कहा गया है नोटबंदी की वजह से देश की जीडीपी 7.6 की जगह 7.1 रहने का अनुमान है, हालांकि इस अनुमान में नोटबंदी के पहले की ही आंकड़े शामिल हैं.