एक ही दिन पहले भारत को आर्थिक मोर्चे पर दोहरी अच्छी खबर मिली थी और अब संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने झटका दे दिया है. मार्च महीने के दौरान खुदरा महंगाई (Retail Inflation March 2023) में कमी आने और फरवरी महीने के दौरान औद्योगिक उत्पादन (IIP February 2023) के तेज होने के बाद अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली थी. हालांकि संयुक्त राष्ट्र की एक ताजी रिपोर्ट ने सारी खुशी गायब कर दी है.


अंकटाड की रिपोर्ट के अनुमान


संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर पिछले साल के 6.6 फीसदी की तुलना में इस साल कम होकर छह प्रतिशत रह सकती है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन यानी अंकटाड (UNCTAD Report) ने जारी की है. अंकटाड की व्यापार एवं विकास रिपोर्ट के ताजा संस्करण में वैश्विक वृद्धि दर 2023 में घटकर 2.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि सितंबर, 2022 में इसके 2.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था.


विकासशील देशों की मुश्किलें


अंकटाड ने आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार कम पड़ने के पीछे उच्च ब्याज दर और पहली तिमाही में प्रोत्साहन पैकेज आवंटन को जिम्मेदार बताया है. रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि उच्च वित्तीय अस्थिरताओं के बीच वैश्विक आर्थिक नरमी के कारण विकासशील देशों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वैश्विक अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्सों में वार्षिक वृद्धि दर कोविड महामारी से पहले के प्रदर्शन से नीचे जाने की आशंका है.


इन फैक्टर्स का होगा असर


रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा गया है कि साल 2022 में आर्थिक वृद्धि दर 6.6 फीसदी रही थी, जो कम होकर इस साल 6 फीसदी रह सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लिए सार्वजनिक व निजी क्षेत्र में भारी निवेश और व्यय के साथ-साथ बढ़ते निर्यात का सकारात्मक प्रभाव ऊर्जा आयात के ऊंचे भुगतान के कारण आंशिक रूप से कम हो गया. ऊर्जा आयात बिल अधिक होने से चालू खाते का घाटा भी बढ़ा है.


यहां मिली सरकार को राहत


इससे एक दिन पहले आईआईपी और खुदरा महंगाई के आधिकारिक आंकड़े सामने आए. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत का औद्योगिक उत्पादन फरवरी महीने के दौरान 5.6 फीसदी की दर से बढ़ा. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आईआईपी इससे पहले जनवरी महीने में 5.2 फीसदी रहा था. इस तरह लगातार दूसरे महीने औद्योगिक उत्पादन के बढ़ने की दर 5 फीसदी से ज्यादा रही है. वहीं खुदरा महंगाई की दर मार्च के महीने में कम होकर 5.66 फीसदी पर आ गई. इस तरह खुदरा महंगाई एक बार फिर से रिजर्व बैंक के दायरे में आ गई है. इससे पहले फरवरी में खुदरा महंगाई 6.44 फीसदी रही थी.


जीडीपी को लेकर अन्य अनुमान


आपको बता दें कि एनएसओ ने 28 फरवरी 2023 को अर्थव्यवस्था को लेकर दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया था. उसके हिसाब से 2022-23 में भारत की जीडीपी में 7 फीसदी की दर से बढ़ोतरी की उम्मीद जाहिर की गई थी. वहीं रिजर्व बैंक ने हाल ही में अनुमान जाहिर किया है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रह सकती है.


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