Dollar Yuan News: डॉलर के वर्चस्व को चीनी करेंसी युआन से मिला सबसे बड़ा झटका! अर्जेटीना-चीन के बीच युआन में होगा ट्रेड!
United States Dollar: चीन लगातार इस बात में जुटा है कि डॉलर की जगह उसी करेंसी युआन के जरिए ट्रेड होने लगे जिससे डॉलर को झटका दिया जा सके.
Dollar Versus Yuan: दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को तगड़ा झटका लगा है. और ये झटका दिया है लैटिन अमेरिकी देश अर्जेटीना ने, जिसने फैसला किया है चीन के किए जाने वाले आयात के लिए वो चीनी करेंसी युआन में भुगतान करेगा. इससे चीनी करेंसी युआन की स्वीकार्यता को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
अर्जेटीना की सरकार इस फैसले के पीछे ये दुहाई दे रही कि वो अपने डॉलर रिजर्व को बचाना चाहती है. लेकिन हकीकत ये है कि चीन कई देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार युआन में करने के लिए बातचीत कर रहा है. अप्रैल महीने में अर्जेटीना ने एक अरब डॉलर के चीनी आयात का भुगतान युआन में करने का फैसला किया है. इसके बाद हर महीने 790 मिलियन डॉलर के आयात का भुगतान युआन में ही किया जाएगा. बीते वर्ष अर्जेटीना ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के लिए 5 अरब डॉलर के करेंसी स्वैप करने का फैसला किया था.
इससे पहले मार्च 2023 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के रूस के दौरे के के दौरान रुस के राष्ट्रपति ब्लामिदीर पुतिन (Vladimir Putin) ने कहा था कि रूस एशियाई, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ चीनी करेंसी युआन (Yuan) में सेटलमेंट किया जाना चाहिए. रूस और चीन के सेंट्रल बैंक अब कम डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार रखने लगे हैं और युआन में लेन-देन कर रहे हैं. रूस और चीन के लगता है कि अमेरिका और उसकी ताकतवर करेंसी डॉलर को सबसे बड़ी चुनौती दी जा सकती है और अमेरिका के आर्थिक ताकत पर चोट की जा सकती है.
सबसे बड़े तेल उत्पादक देश सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने चीन को तेल बेचने पर करेंसी के तौर पर युआन को स्वीकार करने की मंजूरी दे दी है. साथ ही कच्चे तेल के दामों का निर्धारण युआन में भी करने का फैसला लिया है जो अब तक डॉलर में होता आया है. भारत ने भी डॉलर के अलावा दूसरे करेंसी का भुगतान कर रूस से कच्चा तेल खरीदा है.
डॉलर को ऐसे ही झटका लगता रहा तो अमेरिका के इतिहास में उसे लगने वाला ये सबसे बड़ा झटका होगा क्योंकि डॉलर को पूरी दुनिया के खिलाफ अपने सबसे बड़े हथियार रूप में अमेरिका इस्तेमाल करता आया है. दुनिया के 20 फीसदी आउटपुट यानि उत्पादन पर अमेरिका का कब्जा है. ग्लोबल सेंट्रल बैंकों में रखे 60 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर है हालांकि 20 साल पहले ये 70 फीसदी हुआ करता था. इंटरनेशनल ट्रेड भी डॉलर के जरिए ही किया जाता है. डॉलर अमेरिका को उसे वैश्विक राजनीति और आर्थिक पटल पर सबसे बड़ी ताकत प्रदान करता है. अमेरिका किसी भी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है और उस देश को आर्थिक रुप से दुनिया में अलग-थलग कर सकता है.
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