नई दिल्लीः योगी सरकार ने केंद्र से गुजारिश की है कि वो दिल्ली के निकट जेवर में नए हवाई अड्डे यानी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की तकनीकी संभावनाएं तलाशे. केंद्र ने भरोसा दिलाया है कि तय मानकों के हिसाब से तकनीकी संभावनाओं को पऱखने का काम होगा.
दिल्ली में मौजूदा इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से करीब 80 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के जेवर में नया हवाई अड्डा बनाने को लेकर चर्चा तो सालों से चली. लेकिन बात किसी ना किसी वजह से आगे नहीं बढ पायी और मामला अटका रहा. बहरहाल, विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने गुरुवार को जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार ने केंद्र से जेवर में नए सिरे से हवाई अड्डे की तकनीकी संभावनाएं खंगालने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि अखिलेश सरकार के दौरान तकनीकी संभावनाओं पर अध्ययन जरुर किया गया था. लेकिन साल-दर-साल बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर नए सिरे से इस बारे में रिपोर्ट बनाने की बात कही गयी है. सिन्हा के मुताबिक, मौजूदा मानकों के हिसाब से इस काम को अंजाम दिया जाएगा.
योगी सरकार ने अपने शुरुआती दिनों में ही साफ तौर पर संकेत दे दिए थे कि जेवर में नया हवाई अड्डा बनाने का प्रस्ताव है. मौजूदा नियम बताते हैं कि एक हवाई अड्डे से 150 किलोमीटर की हवाई दूरी के बीच नया हवाई अड्डा नहीं बनाया जा सकता. हालांकि विशेष परिस्थितियों में मामला-दर-मामला आधार पर इसमें रियायत दी जा सकती है जैसा कि गोवा और मुंबई में हुआ. हालांकि गोवा और मुंबई की स्थिति बिल्कुल ही अलग है. गोवा में जहां सेना का हवाई अड्डा होने की वजह से ज्यादा नयी उड़ानों की इजाजत नहीं दी जा सकती, वहीं मुंबई में मौजूदा हवाई अड्डे की क्षमता का विस्तार नामुमकिन है. इसीलिए दोनों ही शहरों में नया हवाई अड्डा बनाने के लिए पिछली केंद्र सरकार ने मंजूरी दी.
दिल्ली हवाई अड्डे की मौजूदा स्थिति
बहरहाल, दिल्ली हवाई अड्डे की मौजूदा क्षमता का अभी पूरा-पूरा दोहन नहीं हो पाया है, इसीलिए नए हवाई अड्डे को लेकर सवाल उठ रहे हैं. दिल्ली हवाई अड्डे की मौजूदा क्षमता करीब 6.2 करोड़ यात्रियों की है, जबकि हर साल करीब 5 करोड़ यात्री इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. दिल्ली हवाई अड्डे की क्षमता बढ़ाने के प्रस्ताव पर मजूरी मिल चुकी है इससे 2034 तक कुल क्षमता 10.9 करोड़ यात्रियों की हो जाएगी. प्रस्तावित क्षमता अगले 18-20 वर्षों के दौरान यात्रियों की संख्या में होने वाली बढ़ोतरी से निबटने के लिए पर्याप्त होगी. फिर भी सरकार मानती है कि जिस तरह से हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए टोक्यो, न्यूयॉर्क और लंदन की तरह दिल्ली में भी दूसरे हवाई अड्डे की जरुरत होगी और उस पर अभी से काम करना जरुरी होगी.
इस बीच, विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने जानकारी दी कि दिल्ली हवाई अड्डे से हर घंटे अभी 67 विमानों की आवाजाही होती है जिसे अगले दो से तीन सालों के भीतर बढ़ाकर 95 करने का लक्ष्य रखा गया है. ऐसा होने पर टर्मिनल की क्षमता 6 से बढ़ाकर 9 करोड़ करने की होगी. इसके लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, टर्मिनल 3 और टर्मिनल 1 की क्षमता का विस्तार, टर्मिनल 2 का इस्तेमाल शुरु करना और बाद में टर्मिनल 2 बंद कर एक नया टर्मिनल 4 बनाना. सिन्हा ने ये भी बताया कि टर्मिनल 1डी से टर्मिनल 2 पर एय़रलाइन को ले जाने पर भी फैसला जल्द हो जाएगा.
इस समय दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 से तमाम अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के साथ-साथ एय़र इंडिया, जेट और विस्तारा की घरेलू उड़ानें उपलब्ध हैं, वहीं टर्मिनल 1 डी से इंडिगो, गो और स्पाइसजेट अपनी उड़ानें संचालित करती हैं. टर्मिनल 1 डी का क्षमता से ज्यादा उपयोग हो रहा है. इसकी क्षमता 2 करोड़ यात्रियों की है जबकि 2.4 करोड़ इस्तेमाल कर रहे हैं. इसीलिए दिल्ली हवाई अड्डे में भारी बदलाव पर काम चल रहा है.
जेवर एयरपोर्ट की तकनीकी संभावनाओं की जांच के लिए योगी सरकार ने की केंद्र से गुजारिश
ABP News Bureau
Updated at:
20 Apr 2017 05:11 PM (IST)
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