RBI on GSec: आरबीआई ने इन्वेस्टर्स को दिया नए साल का तोहफा, अब सरकारी प्रतिभूतियों से इस तरह भी बना सकेंगे पैसे!
Lending-Borrowing in GSec: रिजर्व बैंक के इस कदम से इन्वेस्टर्स को बड़ी मदद मिलने वाली है और उनके पास अब लिक्विडिटी का एक नया व शानदार ऑप्शन उपलब्ध होने वाला है...
नया साल शुरू होने से ठीक पहले रिजर्व बैंक ने निवेशकों को हैप्पी न्यू ईयर गिफ्ट दे दिया है. रिजर्व बैंक ने एक ताजे बदलाव में इन्वेस्टर्स को सरकारी प्रतिभूतियों में कर्ज लेने और देने की मंजूरी दे दी है. इस तरह निवेशकों को लिक्विडिटी का एक नया व शानदार विकल्प मिला है. साथ ही निवेशक अब सरकारी प्रतिभूतियों में कर्ज के लेन-देन से भी कमाई कर पाएंगे.
रिजर्व बैंक के ताजे गाइडलाइंस
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सरकारी प्रतिभूतियों में कर्ज लेने और देने की मंजूरी दे दी है. इसमें सिर्फ ट्रेजरी बिल को बाहर रखा गया है. इस बारे में सेंट्रल बैंक ने बुधवार को गाइडलाइंस जारी कर दिया. गाइडलाइंस के अनुसार, ट्रेजरी बिल को छोड़कर केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए जाने वाले जी-सेक अब लेंडिंग व बॉरोइंग के लिए एलिजिबल होंगे. यह काम गवर्नमेंट सिक्योरिटीज लेंडिंग ट्रांजेक्शन के तहत होगा.
इन चीजों में किए गए बदलाव
सेंट्रल बैंक ने गाइडलाइंस में बताया है कि जीएसएल ट्रांजेक्शन के तहत ट्रेजरी बिल और राज्य सरकारों के बॉन्ड जीएसएल ट्रांजेक्शन में कोलैटरल रखे जा सकते हैं. रिजर्व बैंक ने गाइडलाइंस में इनकी मैच्योरिटी पर भी बात की है. रिजर्व बैंक का कहना है कि जीएसएल ट्रांजेक्शन का मिनिमम टेनोर एक दिन का होगा. मैक्सिमम टेनोर शॉर्ट सेल को कवर करने के लिए जरूरी अधिकतम अवधि के हिसाब से रहेगा.
ताजे बदलावों का होगा ऐसा असर
रिजर्व बैंक के इस कदम को बॉन्ड बाजार का दायरा बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि सिक्योरिटीज में लेंडिंग व बॉरोइंग का अच्छी तरह से काम करने वाला बाजार उपलब्ध होने से गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के बाजार को गहराई मिलेगी. इससे गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की लिक्विडिटी भी बेहतर होगी. इस तरह से सरकारी प्रतिभूतियों की बेहतर प्राइस डिस्कवरी में भी मदद मिलेगी.
फरवरी में जारी हुआ था मसौदा
सेंट्रल बैंक ने इस साल फरवरी में आरबीआई (गवर्नमेंट सिक्योरिटीज लेंडिंग) डाइरेक्शंस 2023 का मसौदा जारी किया था. मसौदे पर विभिन्न पक्षों से जो टिप्पणियां प्राप्त हुईं, उनके हिसाब से रिजर्व बैंक ने ताजे गाइडलाइंस को तैयार किया है. इस कदम से स्पेशल रेपो के मौजूद बाजार में सुधार आने की उम्मीद की जा रही है. इस कदम के बाद अब निवेशकों की व्यापक भागीदारी भी सुनिश्चित होगी, क्योंकि उन्हें लिक्विडिटी के लिए एक नया विकल्प मिल गया है.
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