नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और केंद्र सरकार की तनातनी के बीच गवर्नर उर्जित पटेल आज पद से इस्तीफा दे सकते हैं. इससे पहले खबर थी कि केंद्र सरकार ने आरबीआई कानून की धारा 7 का इस्तेमाल किया है. इस आर्टिकल से सरकार को यह अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित के मुद्दे पर आरबीआई को सीधे-सीधे निर्देश दे सकती है. सरकार के फैसले को आरबीआई मानने से इनकार नहीं कर सकता.


सेक्शन सात को लेकर कांग्रेस नेता और पी चिदंबरम ने कहा कि अगर सरकार ने इस धारा को लागू किया है तो आज और भी बुरी खबर आ सकती है. चिदंबरम ने कहा, ''हमने न ही 1991 में, न ही 1997 में और न ही 2008 और 2013 में इस सेक्शन को लागू किया था. इस प्रावधान को अब लागू करने की क्या जरूरत है? ये कदम दिखाता है कि सरकार अर्थव्यव्सथा को लेकर कुछ तथ्य छिपा रही है.''


उर्जित पटेल चार सितंबर 2016 को रघुराम राजन की जगह आरबीआई गवर्नर बने थे. उसके बाद से ही नोटबंदी और अन्य मसलों को लेकर उनकी आलोचना होती रही है. आरबीआई को लेकर आज वित्त मंत्रालय ने कहा कि आरबीआई की स्वायत्ता जरूरी है और सरकार उसकी स्वायत्तता का सम्मान करती है.


वित्त मंत्री ने क्या कुछ कहा?
कल केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि बैंकों के फंसे हुए विशाल कर्जो के लिए केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है और जब बैंक साल 2008 से 2014 के दौरान अंधाधुंध कर्ज बांट रहे थे, तब आरबीआई इसकी अनदेखी कर रहा था, जिसके कारण अर्थव्यवस्था आज कराह रही है.


उन्होंने कहा, "मुझे आश्चर्य है कि उस समय सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, बैंकों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. उस समय केंद्रीय बैंक क्या कर रहा था. नियामक होने के बावजूद वह सच्चाई पर परदा डाल रहा था." जेटली के बयान के बाद से आरबीआई और सरकार के बीच तनातनी की पुष्टि होने लगी.


सोमवार को आरबीआई के डिप्टी गर्वनर विरल आचार्य ने सरकार से कहा था कि बैंकिंग नियामक की कार्यप्रणाली की स्वायत्तता बरकरार रखी जानी चाहिए.


आरबीआई और सरकार के बीच टकराव पर पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि आरबीआई की स्वायतता पर बड़ा हमला हो रहा है. देश में आर्थिक स्थिरता के लिए आरबीआई की मुख्य भूमिका है. देश के वित्तमंत्री का निशाना आरबीआई पर लगा है. देश का पेमेंट रेगुलेटर आरबीआई है इसको सरकार छीन नहीं सकती. सरकार कोई नई संस्था को रेगुलेटर नहीं बना सकती है.