US action on Indian Jewellers: रूस के साथ तनाव में निशाने पर भारत के ज्वेलर्स, अमेरिका ने फ्रीज कर दिया करोड़ों का फंड
US action on Indian Jewellers: अमेरिका ने भारत के कुछ हीरा कारोबारियों की सहायक कंपनियों के करोड़ों के फंड फ्रीज कर दिए हैं और इसका कारण जानकर आपको हैरानी होने वाली है. पढ़िए खास खबर-
![US action on Indian Jewellers: रूस के साथ तनाव में निशाने पर भारत के ज्वेलर्स, अमेरिका ने फ्रीज कर दिया करोड़ों का फंड US arm OFAC frozen fund transfers worth nearly 26 million dollars by Indian jewellers due to this reason US action on Indian Jewellers: रूस के साथ तनाव में निशाने पर भारत के ज्वेलर्स, अमेरिका ने फ्रीज कर दिया करोड़ों का फंड](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/07/15/b6b717c302561867b9b529713bccd31a1689434370303724_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
US action on Indian Jewellers: रूस और अमेरिका के बीच तनाव की खबरें किसी से छुपी नहीं हैं और इसका खामियाजा अब भारत के ज्वैलर्स और हीरा कारोबारियों को भी भुगतना पड़ रहा है. अमेरिकी सरकार की संस्था ऑफिस ऑफ फॉरेन ऐसेट कंट्रोल (OFAC) ने पिछले कुछ महीनों में ऐसे करोड़ों के फंड फ्रीज कर दिए हैं जिनका संबंध विदेशों में काम करने वाले भारतीय ज्वैलर्स से है. इनके ऊपर आरोप लगाया गया है कि ये रूस में खनन किए गए रफ हीरों (कच्चे हीरों) का आयात करके उपयोग कर रहे हैं. चिंताजनक बात ये है कि OFAC ने अब तक करीब 26 मिलियन डॉलर के फंड फ्रीज कर दिए हैं.
UAE की सहायक कंपनियां हैं ये भारतीय फर्में
जिन संस्थाओं पर सीधा असर पड़ा है, वे भारतीय हीरा घरानों की संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की सहायक कंपनियां हैं. इन यूएई फर्मों द्वारा डॉलर का भुगतान इस शक के बीच रोक दिया गया था कि उनके सप्लायर्स रूसी मूल के हैं. इसके अलावा इस बात का भी शक जताया गया है कि इन भारतीय कंपनियों के रूसी माइनिंग और स्वीकृत संस्थाओं के साथ निवेश और अन्य तरह के आर्थिक संबंध हैं.
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉलर के पेमेंट ऐसे रफ या कच्चे डायमंड के विक्रेताओं तक कभी नहीं पहुंचा जिनके सप्लायर्स ने अमेरिकी बैंकों के नोस्ट्रो खाते रखे हुए थे. ऐसा अमेरिकी अधिकारियों के निर्देशों के बाद हुआ. हीरा उद्योग से जुड़े एक व्यक्ति ने ईटी को ये जानकारी दी है.
क्या होता है नेस्ट्रो अकाउंट
विदेशी करेंसी का वो अकाउंट नेस्ट्रो अकाउंट होता है जो एक बैंक दूसरे बैंक के साथ रखता है. इन अकाउंट्स को मुख्य तौर पर विदेशी मुद्रा ट्रांजेक्शन्स और क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड सेटलमेंट को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
मुद्दे को सुलझाने का प्रयास जारी
जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के चेयरमैन विपुलभाई शाह का कहना है कि इंडस्ट्री बॉडी के तौर पर हमने ये मुद्दा वाणिज्य मंत्रालय और यूएई में भारतीय दूतावास के सामने उठाया है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय हीरा कंपनियों के आयात के लिए यूएई सब्सिडियरी के जरिए किया गया था. ये रकम करीब 2.6 करोड़ डॉलर है और इसके तहत कई तरह के पेमेंट फंसे हुए हैं जिनका समाधान होना जरूरी है. उन्होंने ये भी कहा कि हम OFAC को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि कई पेमेंट्स ऐसे हैं जो कि रूस पर प्रतिबंध लगने से पहले के हैं और रूसी सहायक कंपनियों के साथ भी पहले आर्थिक प्रतिबंध लगने से पहले वाले समय के हैं. रूस से सीधा हीरों का आयात होने वाला प्रतिशत तो बेहद मामूली है.
ये भी पढ़ें
Stock Market Opening: शेयर बाजार में तेजी, सेंसेक्स 65800 के पार खुला, निफ्टी 19600 के करीब ओपन
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)