US Auto Strike: अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों में एक महीने से चल रही हड़ताल, अब दुनिया भर में दिखने लगा असर
US Workers Strike: अमेरिका में करीब एक महीने से बड़ी ऑटो कंपनियां वर्कर्स स्ट्राइक का सामना कर रही हैं. अब इस हड़ताल का असर दुनिया के बाकी हिस्सों पर भी पड़ने लगा है...
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के सामने इन दिनों एक अलग तरह की समस्या खड़ी हो गई है. दरअसल कई बड़ी अमेरिकी कंपनियों में महीने भर से वर्कर्स की हड़ताल चल रही है. अब इस हड़ताल का असर अमेरिका से बाहर भी दिखने लगा है और दुनिया की कई कंपनियां कामकाज में असर महसूस कर रही हैं.
एनालिस्ट को सता रहा ये डर
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में एनालिस्ट के हवाले से बताया गया है कि अगर अमेरिकी कंपनियों में चल रही हड़ताल को जल्द समाप्त नहीं किया गया तो दुनिया भर में विभिन्न कंपनियों पर इसका काफी बुरा असर हो सकता है. अमेरिका में तो विभिन्न सेक्टर की कई कंपनियां पहले से ही हड़ताल के कारण प्रभावित चल रही हैं.
अब तक 7 बिलियन डॉलर का नुकसान
आपको बता दें कि अमेरिका का डिट्रॉयट शहर ऑटो हब के रूप में जाना जाता है. वहां तीन बड़ी ऑटो कंपनियों के कामगार करीब 1 महीने से हड़ताल कर रहे हैं. ट्रेड यूनियन यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स यानी यूएडब्ल्यू ने इस हड़ताल का आह्वान किया है. यह हड़ताल 36 दिन चल चुकी है. ऐसी आशंका है कि हड़ताल के चलते अब तक 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हो चुका है.
इन कंपनियों ने जाहिर की आशंका
हड़ताल के असर की बात करें तो अमेरिकी विमानन कंपनी डेल्टा एयरलाइंस इसका शिकार बनने वाली पहली बड़ी कंपनी बनी. कंपनी ने बताया है कि डिट्रॉयट में चल रही हड़ताल से उसके बिजनेस पर ठीक-ठाक असर हुआ है. पेंट व कोटिंग कंपनी पीपीजी इंडस्ट्रीज इस बात की आशंका जाहिर कर चुकी है कि हड़ताल से उसके मुनाफे पर असर पड़ सकता है. रेलरोडर कंपनी यूनियन पैसिफिक ने भी नुकसान की आशंका जताई है.
इनके ऊपर दिख रहा असर
इस हड़ताल से ऑटो कंपनियां जनरल मोटर्स, फोर्ड मोटर और स्टेलांटिस सबसे ज्यादा प्रभावित है. इन तीनों कंपनियों को पार्ट्स सप्लाई करने वाली कंपनियों के कामगार बड़ी संख्या में हड़ताल का हिस्सा हैं. उनके अलावा ट्रकिंग फर्म भी मुश्किलों का सामना कर रही हैं. इन कंपनियों के 34 हजार से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं. अब इस बात की आशंका है कि इस हड़ताल के चलते दुनिया की अन्य वाहन व विमानन कंपनियों के कामकाज पर भी असर न पड़ने लग जाए.
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