आसमान छूती महंगाई और भू-राजनीतिक तनावों के चलते अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए आने वाले दिन बुरे साबित हो सकते हैं. यह डर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने जाहिर किया है. आईएमएफ को इस बात की आशंका सता रही है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने से वैश्विक अर्थव्यवस्था बेपटरी हो सकती है.
खुली आर्थिक नीतियों के पक्ष में आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार के द्वारा चीन क अरबों डॉलर के सामानों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने का फैसला ठीक नहीं है. इससे वैश्विक व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जो अंतत: वैश्विक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार के लिए घातक साबित हो सकता है. आईएमएफ ने खुली आर्थिक नीतियों को दुनिया के लिए बेहतर बताया है.
अमेरिका को भी होगा नुकसान
आईएमएफ की प्रवक्ता जुली कोजाक से गुरुवार को अमेरिका-चीन के बढ़ते व्यापारिक तनाव को लेकर सवाल पूछे गए थे. उन्होंने जवाब में कहा- हमारा दृष्टिकोण है कि अमेरिका खुली व्यापार नीतियों को बरकरार रख कर दुनिया का ज्यादा भला कर सकता है. खुली व्यापार नीतियां खुद अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद हैं.
इतनी कम हो सकती है ग्लोबल जीडीपी
कोजाक ने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए आईएमएफ की एक रिसर्च का हवाला भी दिया. बकौल कोजाक, आईएमएफ की रिसर्च बताती है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के बिखरने के कई बुरे परिणाम हो सकते हैं. दोनों शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने से सबसे खराब स्थिति में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद पर 7 फीसदी का असर हो सकता है, जो जापान और जर्मनी जैसी दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के कम्बाइंड आउटपुट के बराबर हो सकता है. अगर व्यापार और तकनीक की उपलब्धता बाधित होती है, तो ऐसी स्थिति में असर और गहरा हो सकता है.
अमेरिका ने उठाया है ये कदम
आईएमएफ पहले भी अमेरिका के द्वारा चीन के खिलाफ टैरिफ को हथियार बनाने की आलोचना कर चुका है. आईएमएफ की प्रवक्ता ने ताजी आलोचना ऐसे समय की है, जब बाइडन सरकार इस सप्ताह चीन के लगभग 18 अरब डॉलर के सामानों पर 100 फीसदी तक टैरिफ लगाने का ऐलान कर चुकी है. अमेरिका ने चीन से आने वाले कई सामानों जैसे- इलेक्ट्रिक व्हीकल, बैटरी, पीपीई किट, मेडिकल ग्लव्स, फेस मास्क, इंजेक्शन में इस्तेमाल होने वाले सिरींज और नीडल, नेचुरल ग्रेफाइट जैसे मिनरल्स आदि पर 25 फीसदी से 100 फीसदी तक का टैरिफ लगाया है. कई सामानों पर टैरिफ 3 से 4 गुना बढ़ गया है.
बेबुनियाद नहीं है आईएमएफ का डर
अमेरिका और चीन के बीच इस व्यापारिक तनाव के और व्यापक होने की आशंका है. पहले भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार ने जब चीन के सामानों पर टैरिफ लगाया था, तब चीन ने भी अमेरिका के सामानों पर जवाबी टैरिफ लगा दिया था. इस बार भी कुछ वही कहानी दोहराने की आशंका है. यही कारण है कि आईएमएफ को ग्लोबल इकोनॉमी और ग्लोबल ग्रोथ की चिंता हो रही है. आईएमएफ का यह डर अनायास नहीं है. अभी से व्यापारिक तनाव के व्यापक असर दिखने लगे हैं. अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट चीन में अपने दफ्तर बंद करने के संकेत दे चुकी है वहां काम कर रहे 7-8सौ कर्मचारियों को दूसरे देशों में रिलोकेट होने के लिए कह चुकी है.
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