भारत में भले ही महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने लगी है, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के सामने इसकी चुनौतियां अभी कम नहीं हुई हैं. अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व का मानना है कि अभी भी महंगाई बहुत ज्यादा बनी हुई है. ऐसे में फेडरल रिजर्व का मानना है कि ब्याज दरों को कुछ और बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है.
इस कारण ब्याज बढ़ने की आशंका
अमेरिकी सेंट्रल बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल गुरुवार को न्यूयॉर्क में एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने अपने संबोधन में साफ-साफ कहा कि अमेरिकी में महंगाई अभी भी बहुत ज्यादा है और उसे काबू करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाने की गुंजाइश बची हुई है. उन्होंने कहा कि अगर नई नौकरियों में कमी आती है या वेतन के बढ़ने की रफ्तार कम होती है, तो ऐसे में फेडरल रिजर्व को ब्याज दरें स्थिर रखने की मौजूदा रणनीति पर विचार करना पड़ सकता है.
22 साल में सबसे महंगा है ब्याज
अमेरिका की बात करें तो महंगाई के बेकाबू होने के बाद फेडरल रिजर्व ने आक्रामक तरीके से ब्याज दरें बढ़ाई है. अभी अमेरिका में ब्याज दरें 22 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं. दशकों की सबसे ज्यादा ब्याज दर का असर अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर हो रहा है. महंगे ब्याज दर से इस बात का भी खतरा बढ़ा है कि कहीं दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में न चली जाए. उसके बाद फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को स्थिर रखने की रणनीति अपनाई है.
लॉन्ग-टर्म गोल से कोसों दूर महंगाई
फेडरल रिजर्व ने खुदरा महंगाई को 2 फीसदी के दायरे में लाने का लक्ष्य तय किया है. अभी अमेरिका में महंगाई की दर 4 फीसदी के आस-पास है. पिछले साल महंगाई की दर 4 दशकों से भी ज्यादा समय के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. जून 2022 में अमेरिकी महंगाई की दर 9.1 फीसदी हो गई थी, जो 42 साल में सबसे ज्यादा थी. इस तरह देखें तो महंगाई को रिकॉर्ड स्तर से काफी नीचे लाने में सफलता तो हाथ लगी है, लेकिन अभी भी वह 2 फीसदी के लॉन्ग-टर्म गोल से लगभग डबल है.
अभी और आंकड़ों का इंतजार
यही कारण है कि फेड रिजर्व चेयरमैन आगे की रणनीति को लेकर स्पष्ट हैं. उनका मानना है कि कुछ महीने के सकारात्मक आंकड़ों के आधार पर रणनीति में बदलाव नहीं किया जा सकता है. मतलब फिलहाल ब्याज दरों को कम करने की कोई गुंजाइश नहीं है. पॉवेल ने कहा कि अभी कुछ और आंकड़ों का इंतजार करना होगा, तभी भरोसे के साथ ये बात मानी जा सकती है कि महंगाई नियंत्रण में आ चुकी है. अत: फेडरल रिजर्व अभी ब्याज दरों को लेकर सतर्क बना रहेगा.
ये भी पढ़ें: भारत में कम होने लगी महंगाई, आरबीआई को यकीन- सुधरने लगे वृहद आर्थिक हालात