US Inflation Data: नवंबर महीने में सबसे कम बढ़ी अमेरिका में महंगाई, 7.1 फीसदी रही महंगाई दर
Federal Reserve: अमेरिका में महंगाई दर में बढ़ोतरी के चलते माना जा रहा है कि फेडरल रिजर्व बुधवार को सातवीं बार ब्याज दरें बढ़ाने का एलान कर सकता है.
Inflation Down In US: फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों के बढ़ाने के एलान से पहले महंगाई के मोर्चे पर अमेरिका के लिए राहत की खबर है. अक्टूबर के बाद नवंबर महीने में भी महंगाई दर में गिरावट आई है. इससे संकेत साफ है कि कीमतों के बढ़ने की रफ्तार अब धीमी पड़ती जा रही है. नवंबर 2022 में महंगाई दर 7.1 फीसदी रहा है जबकि अक्टूबर में 7.2 फीसदी रहा था.
लेबर डिपार्टमेंट के मुताबिक नवंबर 2022 में महंगाई दर 7.1 फीसदी रहा है जबकि अक्टूबर में 7.2 फीसदी और सितंबर में महंगाई दर 8.2 फीसदी रहा था. जनवरी के बाद से महंगाई दर में ये सबसे कम बढ़ोतरी है. महीने दर महीने देखें तो नवंबर महीने में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में केवल 0.1 फीसदी बढ़ा जो अक्टूबर के 0.4 फीसदी से कम है. हालांकि इसके बावजूद फेडरल रिजर्व 14 दिसंबर को ब्याज दरें बढ़ाने का एलान करने की तैयारी में है. बुधवार को लगातार सातवीं बार फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ा सकता है. जिससे कंज्यूमर से लेकर कारोबारियों के लिए कर्ज लेना महंगा होगा.
सरकार के आंकड़े के मुताबिक नवंबर महीने में ईंधन, इलेक्ट्रिसिटी और यूज्ड कार की कीमतें घटने के चलते महंगाई में कमी आई है. कॉपर, गेहूं और दूसरी कमोडिटी के दामों में भी कमी आई है जिससे कंस्ट्रक्शन लागत में कमी आएगी तो फूड कॉस्ट भी घटेगा. हाउसिंग कॉस्ट अभी भी बढ़ रहा है. हालांकि किराये के अपार्टमेंट और घरों की कीमतें घटी है.
अमेरिका में महंगाई दर 40 साल के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा था जिसके बाद से लगातार वहां का सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व कर्ज महंगा करता जा रहा है. हालांकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि महंगाई पर नकले कसने के लिए फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला जारी रखा तो अमेरिका में अगले वर्ष मंदी आ सकती है. मंदी के आने से पहले ही कंपनियां छंटनी करने लगी है. मेटा से लेकर ट्विटर अल्फाबेट और आईबीएम जैसी कंपनियां खर्च में कमी के मकसद से छंटनी कर रही हैं.
2022 में फेडरल रिजर्व छह बार ब्याज दरें बढ़ाने का एलान कर चुका है. दरअसल फेडरल रिजर्व महंगे कर्ज के जरिए लोगों के खरीदने की क्षमता को कम करना चाहता है जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सके. क्योंकि सस्ते कर्ज के चलते लोग धरल्ले से महंगी चीजों की शॉपिंग के साथ घर और कार खरीद रहे थे.
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