अडानी ग्रुप के लिए खुशखबरी! 15 साल का लंबा इंतजार जल्द होगा खत्म, जून में तैयार हो जाएगा ये प्रोजेक्ट
BKC Project: इस प्रोजेक्ट को पहले वेलोर और रेडियस एस्टेट्स ने शुरू किया था, जिसका काम 15 सालों से अटका पड़ा था. 2021 के अंत में अदानी गुडहोम्स के इस प्रोजेक्ट संग जुड़ने के बाद काम तेजी से शुरू हुआ.
BKC Project: वेलोर एस्टेट लिमिटेड (जिसे पहले डीबी रियल्टी लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) का टेन बीकेसी रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट का काम लगभग पूरा होने वाला है. मुंबई के बांद्रा में यह आवासीय प्रोजेक्ट 5 एकड़ की जमीन पर फैला हुआ है. वेलोर एस्टेट लिमिटेड इसे अडानी गुडहोम्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर बना रहा है, जिसके जून तक पूरा होने की उम्मीद है.
बांद्रा ईस्ट के सबसे बड़े रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स में से एक
इस प्रोजेक्ट को पहले वेलोर और रेडियस एस्टेट्स ने शुरू किया था, जिसका काम 15 सालों से अटका पड़ा था. 2021 के अंत में अदानी गुडहोम्स के इस प्रोजेक्ट संग जुड़ने के बाद काम तेजी से शुरू हुआ. यह बांद्रा ईस्ट के सबसे बड़े रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसे अडानी टेक बीकेसी का नाम दिया गया है. इसमें 15 टावर है, जिनमें 22 से 29 मंजिलें हैं. ये 15 टावर तीन अलग-अलग जोन में फैले हुए हैं. रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) और वैलोर की एनुअल रिपोर्ट (2022-23) के मुताबिक, इनमें 1 BHK से लेकर 5 BHK अपार्टमेंट्स हैं.
प्रोजेक्ट में वेलोर की है इतनी हिस्सेदारी
सितंबर तिमाही के एनालिस्ट प्रेजेंटेंशन के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को बनाने में 4,544 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जिनमें वेलोर की 50 परसेंट हिस्सेदारी है. वेलोर एस्टेट के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद गोयनका ने द मिंट से हुई बातचीत में कहा, बांद्रा ईस्ट के MIG कॉलोनी में हमारा एक और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट XBKC है, जिस पर अडानी के साथ मिलकर काम आगे बढ़ रहा है. यह भी इस साल जून तक पूरी हो जाएगी.
रेडियस के बैंकरप्ट होने पर अडानी ने किया टेकओवर
मूल रूप से यह प्रोजेक्ट वैलोर एस्टेट की सब्सिडियरी कंपनी एमआईजी (बांद्रा) रियलटर्स एंड बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड और रेडियस एस्टेट्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक ज्वॉइंट वेंचर था, बाद में रेडियस के दिवालिया होने पर अडानी ने इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत इसका अधिग्रहण कर लिया और प्रोजेक्ट पर काम बढ़ाना शुरू किया.
दरअसल, वेलोर ने अक्टूबर 2010 में एमआईजी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के साथ एक विकास समझौता किया. पांच साल बाद कंपनी ने फ्लैट बनाने के लिए रेडियस एस्टेट्स के साथ पार्टनरशिप की. हालांकि, संजय छाबड़िया के नेतृत्व वाली रेडियस प्रोजेक्ट कर्ज नहीं चुका पाई और आखिरकार कंपनी बैंकरप्ट हो गई.
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