Vande Bharat: वंदे भारत ट्रेनों से जुड़ी खबर, इस देश से आएंगे 12,800 पहिए, लगाई सबसे कम बोली
Vande Bharat: टीएमएच-आरवीएनएल कंसोर्टियम 200 वंदे भारत ट्रेनों को 120 करोड़ रुपये प्रति ट्रेन बनाने के लिए सबसे कम बोली लगाने वाला रहा.
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Vande Bharat: रूस-भारतीय कंसोर्टियम- ट्रांसमाशहोल्डिंग (टीएमएच) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने 200 वंदे भारत ट्रेनें बनाने के लिए सबसे कम बोली लगाई है. रूस से और ट्रेन के पहिए भारत में आने की उम्मीद है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. 16 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन 64 पहियों पर चलती है और 200 ट्रेनों के लिए पहियों की कुल संख्या 12,800 होगी.
टीएमएच-आरवीएनएल कंसोर्टियम ने लगाई सबसे कम बोली
टीएमएच-आरवीएनएल कंसोर्टियम 200 वंदे भारत ट्रेनों को 120 करोड़ रुपये प्रति ट्रेन बनाने के लिए सबसे कम बोली लगाने वाला था. कुल मूल्य 24,000 करोड़ रुपये है. सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कहा कि न केवल भारत की प्रतिष्ठित वंदे भारत, बल्कि कई अन्य ट्रेनें आयातित पहियों पर चल रही हैं. भारत सरकार ने पहले 400 वंदे भारत ट्रेनें बनाने के अपने फैसले की घोषणा की थी.
वंदे भारत में लगभग 15 प्रतिशत आयात सामग्री
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक सुधांशु मणि ने बताया, "वंदे भारत में लगभग 15 प्रतिशत आयात सामग्री है. आयातित वस्तुओं में से एक पहिया है जिस पर ट्रेन चलती है." उन्होंने कहा कि रोलिंग आउट व्हील्स में क्षमता की कमी के कारण इस मद का आयात किया जा रहा है.
रूस और अन्य देशों से आयात किए जाते हैं वंदे भारत के पहिए
आईसीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, "वंदे भारत के लिए पहिए पहले यूक्रेन से आयात किए जाते थे. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पहिए चीन, रूस और अन्य देशों से आयात किए जाते हैं." मणि के मुताबिक, भारतीय रेलवे की तरफ से पर्याप्त मांग है और व्हील मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि ट्रेन के पहिए चीन, यूक्रेन, चेकिया, रूस से आयात किए जा रहे हैं.
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