Vedanta Limited Demerger: अनिल अग्रवाल के मालिकाना हक वाली वेदांता लिमिटेड ने कंपनी के डिमर्जर का फैसला लिया है. अलग अलग व्यवसाय से जुड़ी कंपनी को पैरेंट कंपनी से डिमर्जर किया जाएगा जिससे शेयरधारकों के लिए वैल्यू अनलॉक किया जा सके. वेदांता लिमिटेड से पावर, मेटल्स एल्युमिनियम, ऑयल एंड गैस बिजनेस से जुड़ी कंपनी को अलग कर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कराया जाएगा. 


कंपनी ने बताया कि छह अलग अलग कंपनी को लिस्ट कराया जाएगा जिसमें वेदांता एम्युमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता स्टील फेरॉस मटेरियल्स, वेदांता बेस मेटल्स और वेदांता लिमिटेड शामिल है. वेदांता ने बताया कि वेदांता लिमिटेड के हर एक शेयर के बदले में शेयरधारकों को पांच नई लिस्टेड कंपनियों के एक शेयर दिए जायेंगे.  


वेदांता की बोर्ड मीटिंग के बाद कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा अपने बिजनेस यूनिट के डिमर्जर के जरिए हमारा मानना है कि हम वैल्यू अनलॉक कर सकेंगे और हर वर्टिकल का तेजी से इसके जरिए विकास संभव हो सकेगा. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रिसोर्सेज पर निर्भर है लेकिन सभी वर्टिकल के अपना मार्केट, डिमांड और सप्लाई ट्रेंड है साथ इनके पास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल उत्पादन बढ़ाने की पूरी क्षमता है.  


इससे पहले हिंदुस्तान जिंक ने जिंक, लीड, चांदी और रीसाइकलिंग बिजनेस से जुड़े कारोबार की अलग इकाई बनाने का फैसला लिया जिससे वैल्यू अनलॉक किया जा सके. वेदांता लिमिटेड की पैरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज को फंड जुटाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है जिसके बाद रेटिंग एजेंसियां रेटिंग्स को डाउनग्रेड कर रही है क्योंकि कंपनी कर्ज चुका नहीं पा रही है. इस खबर के बाद वेदांता का स्टॉक शुक्रवार के कारोबारी सत्र में 6.82 फीसदी के उछाल के साथ 222.55 रुपये पर बंद हुआ है. 


इससे पहले अनिल अग्रवाल चाहते थे कि हिंदुस्तान जिंक पैरेंट कंपनी के कुछ जिंक कारोबार को 2.98 बिलियन डॉलर में खरीद ले. लेकिन भारत सरकार ने इसका विरोध किया था. भारत सरकार का हिंदुस्तान जिंक में 30 फीसदी हिस्सेदारी है. 


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