Bihar Diwas: लंदन तक पहुंचा दिया कारोबार का साम्राज्य, पर अब तक नहीं गया बिहार का ये स्वाद!
Anil Agarwal Bihar Tweet: हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर चोटी के उद्योगपति व वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने अपनी एक भावुक कहानी साझा की है...
Anil Agarwal Bihar Diwas: करीब 110 साल पहले आज ही के दिन बिहार राज्य अस्तित्व में आया था. इस कारण हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस (Bihar Diwas 2023) मनाया जाता है. इस बार भी कहानी अलग नहीं है और हर बार की तरह बिहार से जुड़े लोग अपनी-अपनी यादें साझा कर रहे हैं. अभी भले ही बिहार की पहचान औद्योगिक रूप से पिछड़े राज्य के रूप में होती हो, लेकिन अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी बिहार के कई लोग अग्रिम कतार में हैं. इनमें सबसे प्रमुख नाम है वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agawal) की और वे भी आज के दिन खुद को पुरानी यादों से बचा नहीं पाए.
पटना से शुरू हुआ लंदन तक का सफर
अभी अनिल अग्रवाल किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. उन्होंने दुनिया के कई देशों में माइनिंग व मेटल बिजनेस (Mining And Metal Business) का साम्राज्य खड़ा कर दिया है. अभी उनकी कंपनी वेदांता रिसॉर्सेज लिमिटेड (Vedanta Resources Ltd) का मुख्यालय सात समंदर पार लंदन में है, लेकिन उनकी कहानी की शुरुआत हुई बिहार की जमीन से. साधारण परिवार में पैदा होने वाले अनिल अग्रवाल का बिहार से शुरू हुआ एक सफर मुंबई होते हुए लंदन तक पहुंच गया है. इस सफर में उन्होंने कई बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं, लेकिन वह अपनी जड़ से कभी कट नहीं पाए.
सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं अग्रवाल
बिजनेसमैन अनिल अग्रवाल सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं. पिछले कुछ समय से वह कड़ियों में अपनी यात्रा की कहानी लोगों से साझा कर रहे हैं. आज बिहार दिवस के मौके पर भी उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट अपडेट किया. पोस्ट में वह बताते हैं कि कैसे अभी भी उन्हें बिहार की याद सताती है और पूरी दुनिया घूम लेने के बाद भी किस कारण वह बिहार को भूल नहीं पाते हैं.
अब भी सताती है घर की याद
अग्रवाल ट्विटर पर लिखते हैं, आप सबको ये पता ही है कि अंग्रेजी मेरी पहली भाषा नहीं है, लेकिन मुझे “होमसिक” का मतलब तब समझ आया जब मुझे काम की वजह से बिहार छोड़ कर जाना पड़ा. बिहार के बारे में जितना कहा जाए कम है. यहां की हर बात दुनिया से हट कर है. जैसे ही बिहार का रोड साइन दिखना शुरू होता है, मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. मेरे लिए बिहार आने का मतलब होता है बचपन की उन यादों में खो जाना जो प्यार, खुशी और अच्छे खाने से भरी हैं.
नहीं भूली बिहार वाली थाली
वेदांता चेयरमैन हाल ही में बिहार आए थे. उन्होंने हालिया यात्रा के बारे में अनुभव साझा करते हुए लिखा, कुछ समय पहले मुझे उन गलियों में जाने का मौका मिला जहां मैंने अपना बचपन बिताया था और मैंने पहुंचते ही सबसे पहले लिट्टी खायी… धनिया चटनी और बैंगन चोखा के साथ… एकदम लाजवाब. मुझे अभी भी याद है कैसे सर्दियों के दिनों में हम सब बच्चे आग के सामने बैठ जाते थे और लिट्टी चोखा बनाने में अपने बड़ों की मदद करते थे. पूरी दुनिया देख ली, लेकिन इससे अच्छा खाना नहीं मिला… कहा जाता है ना, जहां आपका दिल लगे, वो ही आपका घर है. मेरा दिल, मेरा बचपन, मेरा सब कुछ इस खाने की थाली में है…
इन पहलों में दे रहे अहम योगदान
आपको बता दें कि अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता अब सिर्फ मेटल और माइनिंग तक ही सीमित नहीं है. अग्रवाल की कंपनी मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की मुहिम में भी अपना योगदान दे रही है. अनिल अग्रवाल की कंपनी ने ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन के साथ एक समझौता किया है. समझौते के अनुसार, दोनों कंपनियां मिलकर भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट बनाने वाला संयंत्र लगाएंगी, जिसके लिए गुजरात में जगह तय हो चुकी है.
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