मेटल व माइन सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता को स्टरलाइट कॉपर के मामले पर कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है. स्टरलाइट कॉपर का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है. इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई हुई, जिसमें तमिलनाडु सरकार ने विरोध में अपना पक्ष रखते हुए अडानी का नाम लिया.
गुजरात में बन रहा है अडानी का कॉपर प्लांट
तमिलनाडु सरकार ने अपने तर्क में अडानी समूह के प्रस्तावित कॉपर स्मेल्टर प्लांट का जिक्र किया. अडानी समूह गुजरात में एक कॉपर स्मेल्टर प्लांट बना रहा है. उसका जिक्र करते हुए तमिलनाडु सरकार ने कहा कि अडानी के प्रस्तावित प्लांट से भारत की कॉपर की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. ऐसे में देश की कॉपर डिमांड की पूर्ति के लिए स्टरलाइट कॉपर के बंद पड़े प्लांट को फिर से शुरू करना जरूरी नहीं है. साथ ही राज्य सरकार ने ये भी कहा कि स्टरलाइट कॉपर के प्लांट को नेशनल एसेट नहीं समझा जाना चाहिए.
करीब 6 साल पहले आया बंद करने का आदेश
वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट का विवाद सालों पुराना है. तमिलनाडु पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने मई 2018 में स्टरलाइट कॉपर को बंद करने का आदेश दिया था. उससे पहले स्टरलाइट प्लांट को लेकर व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शनों का दौर चला था. एक ऐसे ही विरोध प्रदर्शन में 13 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे.
इस कारण शुरू हुआ था प्लांट का विरोध
वेदांता ने उस समय तुतिकोरिन स्थित प्लांट की क्षमता को डबल करने का निर्णय लिया था. वेदांता की योजना सालाना क्षमता को डबल कर 8 लाख टन पर पहुंचाने की थी. उसके बाद व्यापक स्तर पर विरोध होने लगा था. विरोध करने वालों का कहना था कि प्लांट की क्षमता डबल होने से पर्यावरण व लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा. बाद में जब प्लांट को बंद करने का सरकारी आदेश सामने आया तो उसमें भी पर्यावरण से जुड़े प्रावधानों को कारण बताया गया. तमिलनाडु सरकार अभी भी इसे आधार बना रही है. राज्य सरकार का कहना है कि कंपनी ने बार-बार नियमों को तोड़ा. ऐसे में उसे प्लांट को फिर से शुरू करने का मौका नहीं मिलना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर वेदांता सहमत
दूसरी ओर वेदांता ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक नोट फाइल किया. कंपनी कोर्ट के उस सुझाव पर सहमत है, जिसमें कहा गया था कि तुतिकोरिन स्थित प्लांट को फिर से शुरू किए जाने की समीक्षा करने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई जानी चाहिए. कंपनी कमिटी के साथ सहयोग करने और उसका पूरा खर्च उठाने के लिए भी तैयार है. कंपनी का कहना है कि कमिटी प्लांट को फिर से शुरू करने के लिए सुझाव व शर्तें बता सकती है और ये भी बता सकती है कि पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या अतिरिक्त कदम उठाए जाने चाहिए.
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