Anil Agarwal: वेदांता ग्रुप (Vedanta Group) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने भारत में सोने की डिमांड और सप्लाई को लेकर नए विचार लोगों के सामने रखे हैं. अनिल अग्रवाल ने कहा अगर भारत सरकार अपनी पॉलिसी बदले तो न सिर्फ हम दुनिया के बड़े सोना उत्पादक देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएंगे बल्कि यह सेक्टर नौकरियां पैदा करने के लिए भी पहचाना जाने लगेगा. वेदांता ग्रुप के चेयरमैन ने भारत में गोल्ड सेक्टर को निजी हाथों में सौंपने की वकालत की है. 


भारत अपनी जरूरतों का 99.9 फीसदी गोल्ड कर रहा इम्पोर्ट


अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने विचार रखते हुए कहा कि पूरी दुनिया में सोने की जबरदस्त डिमांड है. भारत भी सोने जबरदस्त खरीद कर रहा है. इसके चलते गोल्ड के रेट रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं. भारत को अपनी जरूरतों का 99.9 फीसदी इम्पोर्ट करना पड़ता है. इससे पता चलता है कि हम गोल्ड प्रोडक्शन में असफल रहे हैं. इसे बढ़ाने के लिए हमें भारी मात्रा में निवेश की जरूरत पड़ेगी. अगर हम निवेश करने में सफल रहे तो दुनिया के बड़े गोल्ड प्रोड्यूसर देशों में हमारा नाम आने लगेगा. 


भारत गोल्ड माइन और हट्टी गोल्ड माइन को बेचे सरकार 


वेदांता ग्रुप के चेयरमैन ने लिखा कि इतना बड़ा निवेश प्राइवेट सेक्टर से ही आ सकता है. ऐसे में भारत सरकार को अपनी दो सोना उत्पादक कंपनियों भारत गोल्ड माइन (Bharat Gold Mine) और हट्टी गोल्ड माइन (Hutti Gold Mine) के प्राइवेटाइजेशन पर विचार करना चाहिए. इनको निजी हाथों में सौंपने से न सिर्फ सोना उत्पादन बढ़ेगा बल्कि हजारों की संख्या में नई नौकरियां भी पैदा होंगी.




इन तीन शर्तों पर किया जाए गोल्ड माइंस का प्राइवेटाइजेशन


अनिल अग्रवाल के मुताबिक, यह प्राइवेटाइजेशन तीन शर्तों पर होना चाहिए. पहला किसी भी तरह की छंटनी न हो. इन दोनों कंपनियों के कर्मचारियों को भी कुछ इक्विटी दी जाए. इसके अलावा ‘जो जहां है और जैसा है’ के आधार पर डील की जाए. किसी भी कंपनी के एसेट को इधर से उधर नहीं किया जाए. उन्होंने लिखा कि अगर इन कंपनियों में राज्य सरकार की हिस्सेदारी हो तो भी केंद्र सरकार को अपनी हिस्सेदारी बेच देनी चाहिए. इन्हें खरीदने वाली कंपनी राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने में सक्षम होनी चाहिए. 


हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड को भी निजी हाथों में सौंपे सरकार 


उन्होंने हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (Hindustan Copper Limited) को भी निजी हाथों में सौंपने की वकालत की है. उन्होंने लिखा कि हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड भारत में तांबे की एकमात्र उत्पादक है. यह भी गोल्ड माइंस चलाने वाली कंपनियों की स्थिति में आ चुकी है. अनिल अग्रवाल के मुताबिक, अगर गोल्ड और कॉपर के इम्पोर्ट में 10 फीसदी की भी कमी आती है तो सरकार के 6.5 अरब डॉलर बचेंगे. साथ ही लगभग 3500 करोड़ रुपये और लगभग 25 हजार नौकरियां भी पैदा होंगी.


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