नई दिल्लीः माइनिंग कंपनी वेदांता के लिए अनिल अग्रवाल ने एलान कर दिया है कि वो भारत में लिस्टेड कंपनी वेदांता लिमिटेड के सभी सार्वजनिक शेयर वापस खरीद कर इसे अपनी निजी कंपनी बनायेंगे. लिहाजा वेदांता लिमिटेड भारतीय शेयर बाजार से डीलिस्ट होने की तैयारी में है लेकिन क्या इसके निवेशकों के लिए ये अच्छा मौका है, इसको लेकर यहां आपको जानकारी दी जा रही है.


जानकारों का क्या है मानना
जानकारों के मुताबिक वेदांता की डीलिस्टिंग का ऑफर प्राइस इतना आकर्षक नहीं लग रहा है और ये कंपनी के छोटे स्टेकहोल्डर्स की उम्मीद से तो काफी कम है. आज जो कंपनी डीलिस्टिंग के लिए ऑफर प्राइस पेश कर रही है वो वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान कंपनी की बुक वैल्यू जितनी थी उससे भी काफी नीचे है तो ये निवेशकों के लिए फायदे का सौदा साबित नहीं होने जा रहा है.


दरअसल अनिल अग्रवाल ने कहा था कि उनके नियंत्रण वाली वेदांता रिसोर्सिज समूह की कंपनी वेदांता लिमिटेड अपने करीब 49 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारकों से शेयर खरीदने के लिये 87.5 रुपये प्रति शेयर की खरीद पेशकश करेगी. हालांकि जानकारों का मानना है कि कंपनी के प्रमोटर्स इस समय कोरोना संकटकाल का फायदा लेते हुए इसकी पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी कम भाव पर खरीदना चाहते हैं जो कि इसके निवेशकों को किसी तरह का फायदा देने में सक्षम साबित नहीं होगा.


कंपनी में संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी
कंपनी में संस्थागत निवेशकों की कुल हिस्सेदारी 31 मार्च 2020 तक 34 फीसदी थी. इसमें एलआईसी के पास 6.4 फीसदी हिस्सेदारी थी और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के पास 5 फीसदी हिस्सा था. एचडीएफसी इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के पास कंपनी का 2.5 फीसदी का हिस्सा था और एसबीआई आर्बिट्राज फंड के पास 1.1 फीसदी हिस्सेदारी थी.


कंपनी में प्रमोटर्स को भरोसा
वेदांता लिमिटेड में प्रमोटर्स को भरोसा तो है लेकिन वो कम भाव पर कंपनी की हिस्सेदारी खरीदना चाहते हैं. कम भाव पर इसका हिस्सा खरीदने की योजना इसके छोटे शेयरधारकों को ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाएगी, ऐसा जानकारों का मानना है. लिहाजा कंपनी को इसकी डीलिस्टिंग के लिए प्राइस बढ़ाना चाहिए और उस समय निवेशक इससे बाहर निकलने के बारे में सोच सकते हैं.


आज का शेयर का भाव
वेदांता का आज का भाव देखें तो ये एनएसई पर 1.08 फीसदी की तेजी के साथ 93.90 रुपये पर कारोबार कर रहा था.


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