मेटल व माइनिंग मैग्नेट अनिल अग्रवाल अपने कारोबारी साम्राज्य में एक और बड़ी कंपनी जोड़ने के बेहद करीब पहुंच गए हैं. अरबपति अनिल अग्रवाल की वेदांता जल्दी ही दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही कंपनी मीनाक्षी एनर्जी का अधिग्रहण पूरा कर सकती है. इसके लिए वेदांता को एनसीएलटी की हरी झंडी मिल गई है.


कर्जदाताओं की होगी इतनी रिकवरी


ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की हैदराबाद बेंच ने मीनाक्षी एनर्जी के लिए वेदांता की बोली को मंजूरी प्रदान कर दी. अनिल अग्रवाल की वेदांता ने मीनाक्षी एनर्जी के लिए 1,440 करोड़ रुपये की बोली पेश की है. मीनाक्षी एनर्जी पर विभिन्न कर्जदाताओं के 4,625 करोड़ रुपये के बकाये के दावे मिले हैं. इस तरह देखें तो वेदांता की बोली मंजूर होने से कर्जदाताओं को कुल बकाये के 31 फीसदी के बराबर रिकवरी होगी.


इन्होंने भी पेश कया था ऑफर


मीनाक्षी एनर्जी के लिए एनसीएलटी को वेदांता के अलावा कई अन्य बोलियां भी प्राप्त हुई थीं. दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही कंपनी के लिए Jindal Power और Prudent Asset Reconstruction Company व Vizag Minerals के कंसोर्टियम ने भी बोली लगाई थी. वहीं सरकार से प्रमोटेड  National Asset Reconstruction Company ने कर्जदारों के सारे बकाए को खरीदने के लिए 1,003 करोड़ रुपये ऑफर किए थे.


सबसे बेहतर रही वेदांता की बोली


हालांकि एनसीएलटी ने वेदांता के ऑफर को मंजूर करने का फैसला किया, क्योंकि मीनाक्षी एनर्जी के लिए वेदांता की बोली को सबसे बेहतर पाया गया. वेदांता के ऑफर को कर्जदाताओं की समिति ने 94.96 फीसदी के बहुमत से मंजूर किया. वेदांता ने सबसे पहले 29 अगस्त 2022 को ऑफर दिया था, जिसे बाद मं दो बार 28 अक्टूबर और 26 दिसंबर 2022 को संशोधित किया गया. इस तरह वेदांता की फाइनल बोली 1,440 करोड़ रुपये की हो गई.


बिजली बनाती है मीनाक्षी एनर्जी


मीनाक्षी एनर्जी एक पावर जेनरेशन कंपनी है. कंपनी की पावर जेनरेटिंग यूनिट आंध्र प्रदेश में अडानी के कृष्णापत्तनम पोर्ट के पास स्थित है. उस प्लांट के दो फेज हैं. पहले फेज में 150-150 मेगावाट यूनिट क्षमता की दो यूनिट है, जबकि दूसरे फेज में 350-350 मेगावाट क्षमता की दो यूनिट हैं. पहला फेज परिचालन में है, जबकि दूसरा फेज तैयार है पर परिचालन शुरू नहीं हुआ है.


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