Paytm Payments Bank: भारत के स्टार्टअप किंग के रुतबे से नवाजे गए पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ हुई आरबीआई की कार्रवाई के चलते अपने सबसे नाजुक दौर से गुजर रहे हैं. कंपनी के शेयर धड़ाधड़ गिर रहे हैं. पेटीएम की मार्केट वैल्यू तेजी से घट रही है. इसके शेयरों पर 10 फीसदी की डेली लिमिट लगा दी गई है. अब मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. अब सबकी नजरें विजय शेखर शर्मा पर जाकर टिक गई हैं, जो शांति से चुनौती को स्वीकारते हुए फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती निवेशकों का भरोसा कायम करने और कंपनी के ऑपरेशंस सुचारू रखने की है.
आईपीओ ने दिया था पहला बड़ा झटका
विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) को पहला झटका आईपीओ से लग गया था. आईपीओ के चलते कंपनी की मार्केट वैल्यू नीचे गई थी. पेटीएम का गोल्डन टाइम नोटबंदी के टाइम आया, जब यह कंपनी डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म मार्केट की दिग्गज बन गई. मगर, पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank) को पेटीएम एप की रीढ़ माना जाता था. इसमें विजय शेखर शर्मा की हिस्सेदारी 51 फीसदी है. ऐसे में विजय शेखर की मुसीबत का दायरा समझा जा सकता है. फिर भी उन्होंने इस समस्या को सिर्फ एक स्पीड बंप बताया और कहा कि अन्य बैंकों से वार्ता की जा रही है. पेटीएम एप बिना किसी समस्या के काम करता रहेगा.
सॉफ्टबैंक समेत कई बड़े निवेशक हुए कंपनी से दूर
फिलहाल वह चारों तरफ से संकट में फंसे हैं. पेटीएम का शेयर 487.2 रुपये पर आ गया है. इसकी 2021 की बाजार लिस्टिंग 1950 रुपये पर हुई थी. सॉफ्टबैंक ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी कम कर दी है. अलीबाबा और वारेन बफेट के बर्कशायर हैथवे ने अपनी हिस्सेदारी बेच दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि विजय शेखर शर्मा को निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा.
पेटीएम के पास लगभग 33 करोड़ वॉलेट अकाउंट
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विजय शेखर शर्मा की कहानी फर्श से अर्श तक आने वाली है. उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर अलीगढ़ से आने वाले विजय शेखर ने एक बार कहा था कि उनके पास यात्रा करने के लिए पैसे नहीं रहते थे. खर्च चलाने के लिए वो घरों में इंटरनेट कनेक्शन लगाते थे. उन्होंने 2009 में मोबाइल रिचार्ज के लिए पेटीएम लॉन्च किया था. मगर, नोटबंदी ने उन्हें तरक्की के फास्ट ट्रैक पर डाल दिया. आज पेटीएम के पास लगभग 33 करोड़ वॉलेट अकाउंट हैं.
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