क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल आज के समय में काफी बढ़ गया है. भारत समेत दुनिया के लगभग सारे देशों में बड़े पैमाने पर क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल किए जाते हैं. क्रेडिट कार्ड से यूजर्स को कई फायदे होते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल करने के लिए विभिन्न चार्जेज का भुगतान करना पड़ता है. अब इस मोर्चे पर यूजर्स को कुछ राहत मिल सकती है.
30 बिलियन डॉलर का सेटलमेंट
दुनिया के दो सबसे बड़े कार्ड नेटवर्क वीजा और मास्टरकार्ड के बीच एक समझौता हुआ है, जिससे क्रेडिट कार्ड यूजर्स के खर्च में कुछ कटौती आने की उम्मीद जगी है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वीजा और मास्टरकार्ड 30 बिलियन डॉलर के एक सेटलमेंट पर सहमत हुए हैं. यह सेटलमेंट मर्चेंट्स के क्रेडिट कार्ड फी को लेकर है. सेटलमेंट डेबिट कार्ड फी पर भी लागू है.
इन शर्तों पर बनी दोनों में सहमति
दोनों कार्ड नेटवर्क कंपनियों ने सेटलमेंट के बारे में इसी सप्ताह ऐलान किया. सेटलमेंट के तहत दोनों नेटवर्क प्रोवाइडर स्वाइप रेट को 0.04 फीसदी कम करने पर सहमत हुए हैं. यह कटौती तीन साल के लिए होगी. इसके अलावा दोनों नेटवर्क के बीच इस बात पर भी सहमति बनी है कि औसत रेट को मौजूदा दर की तुलना में अगले पांच साल के लिए 0.07 फीसदी कम रखा जाए.
क्या होती है स्वाइप रेट?
दोनों नेटवर्क अगले पांच साल के लिए दरों को अधिकतम लिमिट के दायरे में फिक्स रखने पर सहमत हुए हैं और एंटी-स्टियरिंग प्रोविजन को हटाने पर भी बात बन गई है. स्वाइप रेट वह शुल्क है, जो वीजा और मास्टरकार्ड जैसे कार्ड नेटवर्क कार्ड से हुए लेन-देन पर वसूल करते हैं. अमूमन इसकी दर 1.5 फीसदी से 3.5 फीसदी होती है. कार्ड नेटवर्क यह शुल्क मर्चेंट से वसूल करते हैं और लगभग मामलों में मर्चेंट इसका बोझ ग्राहकों पर डालते हैं. कई जगहों पर मर्चेंट कार्ड पेमेंट से पहले ही ग्राहक को आगाह कर देते हैं कि उन्हें इतना अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है.
इस तरह ग्राहकों को हो सकता है लाभ
दोनों नेटवर्क के बीच समझौते से इस बात की उम्मीद बढ़ी है कि इससे कार्ड पेमेंट करने वाले ग्राहकों को फायदा होगा. दरअसल सेटलमेंट के तहत ये फैसला मर्चेंट के ऊपर छोड़ा गया है कि वे रेट में की गई कटौती का लाभ ग्राहकों को दें या न दें. अगर मर्चेंट इसका लाभ आगे बढ़ाते हैं तो ग्राहकों को कम अतिरिक्त भुगतान करना होगा. इस सेटलमेंट को यूएस में अभी अथॉरिटीज की हरी झंडी की दरकार है.
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