मुंबई: आखिरकार इंफोसिस के प्रमोटर एन आर नारायणमूर्ति की ही चली. कंपनी के प्रंबध निदेशक (एमडी) सह मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विशाल सिक्का को इस्तीफा देना पड़ा है. कंपनी ने यू बी प्रवीण राव को अंतरिम तौर पर एमडी और सीईओ का कार्यभार सौंपा है.
सबको हैरान करते हुए कंपनी ने शुक्रवार को कारोबार शुरु होने के ऐन पहले स्टॉक एक्सचेंज को भेजी जानकारी में कहा
- एमडी और सीईओ के पद से विशाल सिक्का का इस्तीफा कंपनी के निदेशक बोर्ड ने तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है.
- सिक्का अब कंपनी के कार्यकारी उपाध्यक्ष होंगे.
- यू बी प्रवीण राव अंतरिम तौर पर एमडी और सीईओ का काम देखेंगे. राव इस समय कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हैं.
इसके साथ ही कंपनी ने ऐलान किया कि सिक्का के उत्तराधिकारी नियुक्ति करने की प्रक्रिया और योग्य दावेदारों को ढ़ूंढ़ने का काम शुरु किया जा रहा है. कंपनी के इस ऐलान के साथ ही शेयरों पर भारी दवाब पड़ा. शुरुआती कारोबार में इंफोसिस के शेयरों में गुरुवार के मुकाबले करीब सात फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी और इसमें करीब साढ़े नौ सौ रुपये पर कारोबार हो रहा था.
सिक्का ज्यादा से ज्यादा 31 मार्च 2018 तक कंपनी के कार्यकारी उपाध्यक्ष पद पर बने रहे सकते हैं. क्योंकि ये तय हुआ है कि नए स्थायी एमडी व सीईओ के कार्यभार संभाले जाने तक सिक्का नए पद पर बने रहेंगे. कंपनी का कहना है कि नयी नियुक्ति का काम 31 मार्च 2018 तक हो जाना चाहिए. कार्यकारी उपाध्यक्ष के तौर पर सिक्का की सालाना तनख्वाह 1 डॉलर होगी, लेकिन उन्हें स्टॉक ऑप्शन के तहत जो शेयर दिए जाने हैं, उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
मूर्ति-सिक्का विवाद
मध्य प्रदेश में जन्मे सिक्का को 12 जून 2014 की इंफोसिस का सीईओ नियुक्त किया गया था. नियुक्ति के कुछ समय बाद से ही प्रमोटर के साथ विवाद की खबरें आनी लगी. खास तौर पर नारायणमूर्ति के साथ उनके मतभेद सुर्खियां बनी. शुक्रवार को ही एक अखबार ने नारायणमूति को वो बयान प्रमुखता से छापा कि सिक्का सीईओ के बजाए चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर बनने के योग्य है. इसके पहले कंपनी छोड़ने वाले अधिकारियों को भुगतान के मुद्दे पर भी नारायणमूर्ति अपनी आपत्ति जता चुके हैं.
बोर्ड का सिक्का को समर्थन
फिलहाल, शुक्रवार को कंपनी के निदेशक बोर्ड की बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में भी इन मतभेदों का इशारों-इशारों मे जिक्र कर दिया गया. यहां कहा गया कि बोर्ड सिक्का के इस्तीफे की वजहों को समझता है, लेकिन उसे उनके फैसले पर खेद भी है. हाल के दिनों में कंपनी प्रबंधन के सदस्यों पर लगाए गए व्यक्तिगत आक्षेपों से निराशा हुई है, लेकिन उसका मानना है कि ये आरोप निराधार है. बोर्ड पहले भी कह चुका है तमाम आरोपों की गहरायी से जांच करायी गयी, लेकिन उनका कोई नतीजा नहीं निकला. बोर्ड ने ऐसे तमाम आलोचकों को आड़े हाथों लिया जिन्होंने गलत आरोप लगाए और जिससे कर्मचारियों पर नैतिक रुप से प्रभाव पड़ा, साथ ही कंपनी को सीईओ का नुकसान हुआ.