Vivo Case: चीन की स्मार्टफोन मेकर वीवो के लिए लगातार मुश्किलों का सिलसिला जारी है. अब वीवो के ऊपर कुछ और आरोप लगे हैं जिनमें वीजा संबंधित नियमों को तोड़ने जैसे गंभीर अपराध भी शामिल हैं. देश की वित्तीय अपराध एजेंसी ने वीवो और इसकी भारतीय कंपनी वीवो इंडिया के ऊपर आरोप लगाए हैं कि जब वीवो के एंप्लाइज से उनके वीजा और जम्मू-कश्मीर में संवेदनशील इलाकों में जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे छिपाया. एजेंसी का दावा है कि कम से कम 30 चीनी व्यक्तियों ने बिजनेस वीजा पर भारत में प्रवेश किया और अपने एंप्लॉयर का खुलासा किए बिना वीवो के लिए काम किया.


वीवो के कर्मचारियों ने जानकारी छुपाई- ED का दावा


वित्तीय अपराध एजेंसी एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने जानकारी दी है कि चीन की स्मार्टफोन मेकर वीवो और इसके भारतीय सहयोगियों ने वीजा मांगने के समय अपने एंप्लॉयमेंट को छुपाया और कुछ ने तो जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील हिमालियन रीजन का दौरा किया जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ. रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक ये जानकारी सामने आई है.


10 अक्टूबर को वीवो के खिलाफ हुई थी बड़ी कार्रवाई


अदालत में इन आरोपों को लेकर विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन 10 अक्टूबर को वीवो के एक्जीक्यूटिव गुआंगवेन कुआंग को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में लिए जाने के बाद से ही कई सूचनाएं सामने आ रही हैं. वीवो के खिलाफ साल 2022 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जांच शुरू की गई थी और 10 अक्टूबर 2023 को इस मामले में चार लोग हिरासत में लिए गए. 


 32 पेज की फाइलिंग में ईडी का खुलासा


एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने 32 पेज की फाइलिंग में खुलासा किया है कि कम से कम 30 चीनी व्यक्तियों ने बिजनेस वीजा पर भारत में एंट्री की थी और वीवो के एंप्लाइज के रूप में काम किया. हालांकि उनके एप्लीकेशन फॉर्म ने 'कभी खुलासा नहीं किया' कि वीवो कंपनी उनकी एंप्लॉयर थी.


वीवो ग्रुप कंपनी के कई एंप्लाइज ने भारत में समुचित वीजा पेपर्स के बिना कार्य किया- ईडी


एजेंसी ने अपनी फाइलिंग में ये भी कहा कि वीवो ग्रुप कंपनी के कई एंप्लाइज ने भारत में समुचित वीजा पेपर्स के बिना कार्य किया. इसके जरिए उन्होंने अपने वीजा एप्लीकेशन्स में एंप्लॉयर को लेकर जानकारी छिपाई. इसके जरिए भारतीय दूतावास और चीन में मिशन के साथ धोखाधड़ी की. हालांकि चीन के वित्त मंत्रालय से रॉयटर्स ने जब इस बारे में स्पष्टीकरण लेने की कोशिश की तो कोई जवाब नहीं दिया गया. वहीं बीजिंग में भारतीय दूतावास और नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.  


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