सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के AGR से जुड़ी याचिका को किया खारिज, 20 फीसदी गिरा वोडाफोन आइडिया का शेयर
Supreme Court: साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग द्वारा टेलीकॉम कंपनियों पर बकाये एजीआर की गणना को सही ठहराया था. इस फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव याचिका दायर की गई थी.
AGR Dues Case: टेलीकॉम कंपनियों वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) और इंडस टावर्स (Indus Towers) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जोर का झटका लगा है. सर्वोच्च न्यायालय ने इन कंपनियों के एजीआर बकाये (AGR Dues) पर कोर्ट के पुराने आदेश की समीक्षा करने की मांग वाली क्यूरेटिव याचिका (Curative Petition) को खारिज कर दिया है. वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल (Bharti Airtel) ने ये याचिका दायर की थी जिसमें दूरसंचार विभाग ( Department Of Telecommunications) के एजीआर बकाये के कैलकुलेशन के तरीके पर सवाल खड़ा किया था.
वोडाफोन आइडिया 20 फीसदी फिसला
सुप्रीम कोर्ट के टेलीकॉम कंपनियों के क्यूरेटिव याचिका को खारिज करने के चलते वोडाफोन आइडिया और इंडस टावर के स्टॉक में बेहद तेज गिरावट देखने को मिली है. वोडाफोन आइडिया का स्टॉक ( Vodafone Idea Share) 20 फीसदी तक नीचे जा लुढ़का. वोडाफोन आइडिया का शेयर करीब 20 फीसदी की गिरावट के साथ पिछले क्लोजिंग प्राइस 12.90 रुपये से गिरकर 10.36 रुपये पर जा गिरा. फिलहाल स्टॉक 15.58 फीसदी की गिरावट के साथ 10.89 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. वोडाफोन आइडिया का शेयर 11 रुपये के अपने एफपीओ प्राइस (FPO Price) से भी नीचे जा गिरा है.
इंडस टावर के शेयर में 15 फीसदी की गिरावट
इंडस टावर का शेयर (Indus Tower Share) पिछले क्लोजिंग से करीब 15 फीसदी की गिरावट के साथ 366.35 रुपये तक नीचे जा फिसला. फिलहाल इंडस टावर 9.67 फीसदी की गिरावट के साथ 386.85 रुपये पर कारोबार कर रहा है. हालांकि भारतीय एयरटेल का स्टॉक 2.50 फीसदी की तेजी के साथ ट्रेड कर रहा है.
जुलाई 2024 में कंपनियों ने दायर की थी याचिका
वित्तीय संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया पर वित्त वर्ष 2023-24 के आखिर तक 70,320 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया था. कंपनी ने जुलाई महीने में कोर्ट के 2019 के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पेटीशन दाखिल करते हुए सु्प्रीम कोर्ट से मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी. वोडाफोन आइडिया ने अपनी याचिका में कोर्ट से कहा, कंपनी वित्तीय संकट से जूझ रही है और इसके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है. कोर्ट के एक आदेश से एजीआर डिमांड में क्लीरकल एरर ठीक नहीं हो पा रही है. बकाये रकम पर पेनल्टी के साथ ब्याज पर भी पेनल्टी लगाया गया है जो कि उचित नहीं है.
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