वोडाफोन इंडिया के सामने फंड का संकट खड़ा हो गया है. कंपनी ने अपने नेटवर्क को अपग्रेड करने और एजीआर बकाया चुकाने के लिए अमेरिकी क्रेडिट फंड्स का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है. कंपनी ने पहले राउंड में ओक हिल एडवाइजर्स, मैराथन एसेट मैनेजमेंट, स्पेक्ट्रम एसेट मैनेजमेंट, एंकरेज कैपिटल और प्रोविडेंस इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट ने बात की.  इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक अमेरिकी क्रेडिट फंड इक्विटी या डेट के बजाय वोडाफोन इंडिया के लिए हाइब्रिड मॉडल पर काम कर रहे हैं.


कड़ी शर्तों पर उठाना होगा फंड 


कहा जा रहा है कि वोडाफोन इंडिया को 25 हजार करोड़ रुपये की फंडिंग बेहद कठिन शर्तों पर होगी. इसके तहत वोडाफोन के प्रबंधन में इन फंड्स का दखल होगा. इसके साथ ही कंपनी के बोर्ड में इन फंड्स के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं. दरअससल वोडाफोन की वित्तीय स्थिति खराब होने की वजह से उसे कड़ी शर्तों का पालन करना पड़ सकता है. इस महीने के आखिर में वोडाफोन इंडिया की बोर्ड बैठक में फंड जुटाने के तरीकों पर बातचीत हो सकती है.


हाइब्रिड मॉडल पर मिल सकता है फंड 


अमेरिकी क्रेडिट फंड वोडाफोन की फाइनेंसिंग हाइब्रिड मॉडल पर कर सकते हैं. ये फंड कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. इनमें से कन्वर्टिबल डिबेंचर्स और सीनियर नोट्स जैसे विकल्पों का इस्तेमाल किया जा सकता है.  ग्लोबल क्रेडिट फंड ज्यादा ब्याज के लिए दुनिया भर में जोखिम भरे निवेश कहते हैं. टेलीकॉम दुनिया भर में लो मार्जिन वाला बिजनेस है. इंटरनेशनल फंड्स को फंड के लिए राजी करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. संकट में फंसी कपनियों को फंड देते वक्त अंतरराष्ट्रीय फंडिंग कंपनियां भारतीय बैंकों की तुलना में काफी ज्यादा कड़े नियम और शर्तें रखती हैं. वोडाफोन इंडिया के प्रमोटरों का कहना है कि वे वोडाफोन ग्रुप के 6,600 करोड़ रुपये के इनवेस्ट कमिटमेंट के अलावा और कोई निवेश नहीं करेंगे.


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