कॉरपोरट एफडी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. एफडी पर कम होते ब्याज के दौर में लोग निवेश के अन्य साधनों को तलाश रहे हैं. ऐसे में कॉरपोरेट एफडी एक बेहतर विकल्प के रूप में लोगों को दिखा है. हालांकि दिक्कत ये है कि लोग सुनी-सुनाई बातों पर निवेश करने लग जाते हैं, जिससे उन्हें बाद में पछताना पड़ जाता है. आज हम आपको कॉरपोरेट एफडी के बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो कम लोग ही जानते हैं.


क्या है कॉरपोरेट एफडी


कॉरपोरेट या कंपनी एफडी एक टर्म डिपॉजिट है. फाइनेंस, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों समेत अन्य NBFCs की ओर से ये FD जारी की जाती हैं. कंपनियों के लिए आम जनता से पैसे जुटाने का ये अच्छा रास्ता है. इसमें बैंक FD की तरह ही रिटर्न फिक्स्ड है, लेकिन इसकी ब्याज दर आमतौर पर बैंक FD से ज्यादा होती है.


सबसे पहले कर लें ये काम


बात कॉरपोरेट FD की हो या फिर किसी और इन्वेस्टमेंट की, फाइनेंशियल गोल्स तय किए बिना निवेश नहीं करना चाहिए. इससे आपको ये पता चलेगा कि कितने समय में आपको कितना पैसों की जरूरत होगी. इसके हिसाब से ही निवेश करें. फाइनेंशियल गोल में रिटायरमेंट प्लानिंग, कार-घर खरीदना, शादी, बच्चे की पढ़ाई जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं.


इन चीजों की करें तुलना


फाइनेंशियल गोल तय करने के बाद विभिन्न कॉरपोरेट FDs की ब्याज दरों, टेन्योर और मिनिमम डिपॉजिट के बीच तुलना करनी चाहिए. कॉरपोरेट FD के फीचर्स और suitability यानी वो आपके लिए कितनी सही है, इसकी पड़ताल किए बगैर निवेश करने से आप कम फायदे वाली FD में पैसा डाल सकते हैं.


क्रेडिट रेटिंग पर ध्यान देना जरूरी


कॉरपोरेट FD में निवेश से पहले रेटिंग पर जरूर गौर करें. भारत में शीर्ष क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट की रेटिंग करती हैं. इनमें केयर, इक्रा (ICRA) और क्रिसिल (CRISIL) शामिल हैं. हमेशा AAA रेटिंग वाली कंपनी FD हीं चुनें और एक नहीं बल्कि अलग-अलग एजेंसियों की रेटिंग चेक करें. कम रेटिंग या बिना रेटिंग वाली कॉरपोरेट FD से दूर रहें, भले ही वो ज्यादा रिटर्न दे रहे हों.


ज्यादा रिटर्न का लोभ पड़ेगा महंगा


बहुत से लोग सिर्फ ज्यादा रिटर्न देखकर कॉरपोरेट एफडी में निवेश करते हैं, जो सही तरीका नहीं है. FD में निवेश से पहले कंपनी का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड, वित्तीय मजबूती और इंटरेस्ट पे आउट यानी ब्याज भुगतान के बारे में देखना जरूरी है. ऐसी कंपनियां जो नामी-गिरामी नहीं हैं, वित्तीय या प्रबंधन के स्तर पर संकट में हैं, उनसे दूर रहने में भलाई है. गलत कंपनी FD में पैसा लगाने पर आपकी मेहनत की कमाई फंस सकती है.


समय ये पहले न करें एक्जिट


मैच्योरिटी यानी टेन्योर पूरा होने से पहले कंपनी FD को बंद करने पर ब्याज का नुकसान और पेनाल्टी देनी पड़ सकती है. कॉरपोरेट FD से समय से पहले पैसे निकालने पर ब्याज में 2 से 3 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है. इसलिए FD का टेन्योर सावधानी से चुनें और आखिरी तक निवेश को बरकरार रखें.


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