टैक्स बचाने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं? चुनिये, ELSS मगर संभल कर
म्यूचुअल फंड की इस स्कीम में इनवेस्टमेंट पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80 के तहत टैक्स छूट मिलती है.
टैक्स सेविंग के लिए जो लोग म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS में पैसा लगाने की सलाह दी जाती है. म्यूचुअल फंड की इस स्कीम में इनवेस्टमेंट पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80 के तहत टैक्स छूट मिलती है. निवेशक इन स्कीमों में डेढ़ लाख रुपये निवेश कर टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं.
सेक्शन 80 के तहत जिन निवेश इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश पर टैक्स छूट मिल सकती है, वे सभी सरकारी समर्थित निवेश योजनाएं होती हैं. लेकिन इनमें रिटर्न काफी कम होता है. इसलिए ज्यादा रिटर्न के साथ टैक्स छूट का लाभ भी लेना है तो इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ELSS में निवेश करें.
ELSS में तीन साल का लॉक इन पीरियड
टैक्स सेविंग्स म्यूचुअल फंडों में तीन साल का अनिवार्य लॉक-इन-पीरियड होता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप तीन साल के लिए निवेश करें. चूंकि इसके तहत इक्विटी में ही निवेश होता है इसलिए बेहतर रिटर्न के लिए पांच से सात साल तक ELSS में निवेश करें.
हां, ईएलएसएस में सिर्फ इसलिए निवेश न करें कि इसमें लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिल सकता है. अगर आप इक्विटी में निवेश करने का जोखिम ले सकते हैं तो ईएलएसएस में निवेश कर सकते हैं. लेकिन यह भी सही है कि सेक्शन 80 सी के तहत उपलब्ध विकल्पों मे सबसे कम तीन साल का लॉक-इन पीरियड ईएलएसएस में होता है. इसलिए कई म्यूचुअल फंड एडवाइजर इक्विटी म्यूचुअल फंडों की दुनिया में उतरने के लिए इन्हें सबसे अच्छा विकल्प मानते हैं. लेकिन बीते 10 साल में ईएलएसएस म्यूचुअल फंड कैटेगरी ने करीब 8.46 फीसदी का रिटर्न दिया है.
इसलिए ईएलएसएस में निवेश करने के वक्त इन तथ्यों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए. ईएलएसएस टैक्स सेविंग्स में मददगार तो हो सकता है लेकिन इक्विटी क्लास की सेविंग्स होने की वजह से इसके जोखिम बढ़ जाते हैं. लिहाजा, ईएलएसएस में निवेश करें लेकिन इसके जोखिमों को भी जान लें.