RBI MPC Minutes: महंगाई के खतरे को लेकर आगाह करते हुए आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा है कि इस गर्मी के मौसम के बहुत ज्यादा गर्म रहने का असर खराब होने वाली कुछ खाद्य वस्तुओं पर पड़ सकता है जिसपर बेहद नजदीकी से निगरानी रखे जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, बेहद गर्म महीने के रहने के चलते आने वाले महीनों में खराब होने वाली चीजें, रबी फसल में दालों और आलू - प्याज जैसी सब्जियों के प्रोडक्शन में कमी, दूध की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ने का जोखिम है और इसपर सख्त निगरानी रखने की दरकार है.
जून के पहले हफ्ते में हुई आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग के मिनट्स जारी हुए जिसमें आरबीआई गर्वनर ने ये बातें कही है. उन्होंने कहा कि सामान्य मानसून रहने पर मुख्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी आ सकती है. बेस इफेक्ट्स के चलते मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में टारगेट से नीचे महंगाई आ सकती है लेकिन तीसरी और चौथी तिमाही में इसमें उछाल देखने को मिल सकता है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, धीमी रफ्तार से सही पर खुदरा महंगाई दर में कमी आ रही है. उन्होंने कहा कि अप्रैल 2024 में हुए एमपीसी की बैठक के बाद खुदरा महंगाई दर फरवरी 2024 में 5.1 फीसदी से घटकर अप्रैल 2024 में 4.8 फीसदी पर आ चुकी है. खाद्य और फ्यूल इंफ्लेशन के सीपीआई इंफ्लेशन के अलावा कोर और उसके सर्विसेज की महंगाई दर अप्रैल 2024 में ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ चुका है. उन्होंने कहा कि खाद्य महंगाई के चलते महंगाई दर धीमी रफ्तार से घट रही है. सप्लाई-साइड झटके खाद्य महंगाई को बढ़ाने में बड़ी भूमिका अदा कर रहे हैं.
आरबीआई मिनट्स के मुताबिक शक्तिकांत दास ने एमपीसी बैठक में कहा, 2022-23 में मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए महंगाई पर नकेल कसने के आरबीआई की कोशिशों के चलते खुदरा महंगाई दर को नीचे लाने में मदद मिली है. उन्होंने कहा, मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच 250 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट में बढ़ोतरी के चलते आउटपुट को बगैर कोई नुकसान पहुंचाये ग्रोथ रेट को बरकार रखने में सफलता मिली है जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सका है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, शानदार इकोनॉमिक ग्रोथ के चलते मॉनिटरी पॉलिसी को महंगाई पर फोकस करने का अवसर मिल रहा है जो अभी भी हमारे 4 फीसदी के लक्ष्य के ऊपर है जिसे कम करने के लिए हम अपने पॉलिसी रूख पर कायम हैं. उन्होंने रेपो रेट में कमी जैसे फैसलों को लेकर आगाह करते हुए कहा, जल्दबाजी में लिए गए फैसले से फायदे कम और नुकसान ज्यादा होने का खतरा है.
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