भूमिगत जल के गिरते स्तर को कई जगहों पर खराब होती गुणवत्ता से पीने के पानी का संकट पैदा हो रहा है. देश के कई इलाकों में पेयजल की समस्या गंभीर स्थिति में है. यहां तक कि दिल्ली और बेंगलुरू जैसे महानगर भी पानी के संकट से दो-चार हो रहे हैं. ऐसे में लोगों के लिए घरों में वाटर प्यूरिफायर लगवाना मजबूरी है.
सरकार ने दिया समस्या पर ध्यान
अगर आप भी अपने घर में वाटर प्यूरिफायर लगवाने की योजना बना रहे हैं या पहले से ही उसका इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपके लिए एक गुड न्यूज है. अब वाटर प्यूरिफायर पर होने वाला खर्च कम होने वाला है. सरकार ने इस संबंध में वाटर प्यूरिफायर कंपनियों को साफ निर्देश दिया है, जो लोगों के खर्च को कम करने में मददगार साबित होंगे.
इन 4 सेक्टरों की कंपनियों के साथ बैठक
मिनिस्ट्री ऑफ कंज्युमर अफेयर्स, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन ने इस संबंध में 8 मार्च शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया. बयान में बताया गया कि मंत्रालय ने 4 सेक्टरों - ऑटोमोबाइल, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद यानी कंज्युमर ड्यूरेबल्स, मोबाइल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मिंग इक्विपमेंट्स की कंपनियों के साथ बैठक की. बैठक में चारों सेक्टरों की कंपनियों को हिदायत दी गई कि वे उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने उत्पादों, सर्विस सेंटरों और वारंटी की शर्तों के बारे में अच्छे से जानकारी मुहैया कराएं.
वाटर प्यूरिफायर कंपनियों को ये हिदायत
मंत्रालय ने वाटर प्यूरिफायर कंपनियों को खास तौर पर निर्देश दिया. दरअसल वाटर प्यूरिफायर के मामले में एक बार लगवाने के बाद उपभोक्ताओं को कुछ-कुछ महीनों के अंतराल पर लगातार खर्च करते रहना पड़ता है. यह खर्च वाटर प्यूरिफायर के कैंडल यानी फिल्टर को लगातार बदलने के कारण होता है. कई बार देखा जाता है कि पुराना फिल्टर अभी भी अच्छे से काम करने की स्थिति में होता है, लेकिन कंपनियां उसे बदलने पर जोर देती हैं. सरकार ने इसी बात पर ध्यान दिया है.
इलाके के हिसाब से करना होगा काम
सरकार ने वाटर प्यूरिफायर कंपनियों को कहा है कि वे कैंडल/फिल्टर के बारे में ग्राहकों को पहले ही सारी जानकारियां दें. कंपनियों को ये बताना होगा कि वास्तव में उनके फिल्टर कितने समय तक अच्छे से काम कर सकते हैं. फिल्टर की उम्र अलग-अलग इलाके में अलग-अलग स्थितियों पर निर्भर करती है. किसी इलाके में पानी की गुणवत्ता ज्यादा खराब होने पर वहां फिल्टर की उम्र कम होगी, जबकि गुणवत्ता में मामूली खराबी होने पर फिल्टर ज्यादा समय तक काम कर सकते हैं. ऐसे में कंपनियों को इलाके के हिसाब से फिल्टर की उम्र बताने के लिए कहा गया है.
ये भी पढ़ें: क्या हैं राहुल गांधी की 5 गारंटियां और अर्थव्यवस्था पर कैसा होगा असर?