देश में टैक्स की दरों में कमी होनी चाहिएः वित्त मंत्री
नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने टैक्स की दरो में कमी की वकालत की है. जेटली का ये बयान ऐसे समय में आया है जब नोटबंदी के बाद टैक्स और खास तौर पर इनकम टैक्स की दरों में कमी के कयास लगाए जा रहे हैं.
भारतीय राजस्व सेवा यानी इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) से जुड़े नए अधिकारियों के प्रशिक्षण का शुभारंभ करने पहुंचे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इशारों-इशारों में नोटबंदी के बाद काले धन के कुबेरों पर सख्ती के संकेत दे दिए. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सात दशकों से लोग टैक्स चोरी में कुछ भी गलत नहीं देख रहे थे. दरअसल, इसमें लोगों को अपनी व्यावसायिक चतुराई नजर आती थी. लेकिन अब टैक्स चोरी करने के दिन फिर गए हैं.
बहरहाल, वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ-साथ सरकार बार-बार कह रही है कि नोटबंदी से 1 जनवरी के बाद ईमानदार लोगों को फायदा मिलना शुरु हो जाएगा. इस सिलसिले में ये भी कहा जा रहा है कि इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कमी हो सकती है और इस बारे में औपचारिक ऐलान बजट में सभव है. अनुमान है कि आयकर की दर के बजाए, आयकर के लिए जरुरी आमदनी की सीमा यानी स्लैब में परिवर्तन किया जा सकता है.
अभी 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी पर टैक्स नहीं लगता, जबकि 2.5 से 5 लाख पर 10 फीसदी, 5 से 10 लाख रुपये पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. दूसरी ओर कॉरपोरेट टैक्स की दर को 25 फीसदी के स्तर पर लाने की प्रक्रिया छोटी की जा सकती है. 2015-16 के बजट में सरकार ने ऐलान किया था कि अगले चार सालों के दौरान क्रमबद्ध तरीके से कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी की जाएगी. इसके बाद बीते वर्ष कुछ फेरबदल किया गया.
फिलहाल, वित्त मंत्री ऐसी अटकलबाजियों पर कुछ भी कहने से तो पहले ही इनकार कर चुके है. लेकिन सोमवार के अपने भाषण में इस बात पर जरुर जोर दिया कि भारत को टैक्स की निचली दरों की तरफ बढ़ना चाहिए. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि लोगों को टैक्स की निचली दरों की जरूरत है जिससे लोगों को सस्ती दरों पर सेवाएं मिल सकें. क्योंकि टैक्स दरों का मुकाबला घरेलू स्तरों पर ना होकर वैश्विक स्तरों पर है.
चूंकि अगले कारोबारी साल के दौरान सरकार ने वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी लागू करने का इरादा जताया है. ऐसे में एक्साइज ड्यूटी या सर्विस टैक्स में फेरबदल की गुंजायश नहीं बचती. इसीलिए अब पूरा ध्यान इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स जैसे डायरेक्ट टैक्स पर है और लोगों की नजर होगी कि किस तरह से नोटबंदी के बाद राहत देने के मकसद से डायरेक्ट टैक्स में क्या कुछ बदलाव होता है. उम्मीद है कि आम बजट फरवरी के पहले सप्ताह में पेश होगा.