नई दिल्लीः जीएसटी लागू होने के साथ ही जहां लोगों को नई टैक्स दरों को समझने में वक्त लग रहा है वहीं सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी अफवाहें फैलाने वालों की भी कमी नहीं है. आज सरकार ने लोगों से अपील की है कि सोशल मीडिया पर धर्म के आधार पर जीएटी टैक्स दरों में अंतर होने की बात को न फैलाएं. ये पूरी तरह गलत है.


सरकार को सूचना मिली है कि सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेज फैलाए जा रहे हैं जिनमें धर्म आधारित टैक्स दरें अलग-अलग हैं.


सोशल मीडिया पर कई संदेशों में कहा जा रहा है कि नए टैक्स सिस्टम के तहत मंदिरों के ट्रस्ट को जीएसटी टैक्स देना होगा जबकि चर्च और मस्जिदों (या उनके ट्रस्ट) को इससे छूट मिली है. सरकार ने तुरंत संज्ञान लेते हुए साफ किया है कि धर्म के आधार पर किसी भी तरह के टैक्स में भेदभाव नहीं किया गया है. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स पूरी तरह सेवाओं और वस्तुओं से जुड़ा है, इसका धर्म से संबंध जोड़ना बिलकुल सही नहीं है.