Employment Crisis: कमजोर रुपये के चलते बढ़ सकता है रोजगार संकट, जानें कैसे
Weak Rupee Impact: रुपये में आ रही कमजोरी का असर रोजगार पर पड़ने लगा है. खास तौर से जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर में जो रूस और यूक्रेन के युद्ध ( Russia Ukraine War) के चलते पहले से ही संकट में था
Weak Rupee Impact On Employment: रुपया ( Rupee) गिरने का नया रिकॉर्ड बना रहा है. गुरुवार 19 मई 2022 को रुपया अब तक के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर 77.73 रुपये पर बंद हुआ. फरवरी में रूस यूक्रेन युद्ध ( Russia Ukraine War) के शुरुआत के बाद से रुपये में गिरावट का सिलसिला जो हुआ वो थमने का नाम नहीं ले रहा है. रुपये को गिरने से बचाने के लिए आरबीआई ( RBI) ने लगातार कोशिशें की है लेकिन विदेशी निवेशकों ( Foreign Investors) द्वारा अपना निवेश निकाले जाने के कारण रुपये दवाब में है. आरबीआई ने अपने स्टेट ऑफ इकोनॉमी रिपोर्ट ( State Of Economy Report) में कहा है कि 6 मई तक भारत के पास 596 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Reserves) है जिससे केवल अगले 10 महीने के अनुमानित आयात को पूरा किया जा सकता है. जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तब से विदेशी मुद्रा कोष में 36 अरब डॉलर की कमी आई है.
जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर में रोजगार का संकट
विदेशी मुद्रा कोष तो घट ही रहा है लेकिन रुपये में आ रही कमजोरी का असर रोजगार ( Employment) पर पड़ने लगा है. खास तौर से जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर ( Gems And Jewellery Sector) में जो रूस और यूक्रेन के युद्ध ( Russia Ukraine War) के चलते पहले से ही संकट में था अब रुपये में कमजोरी ने इस सेक्टर की मुश्किलें और बढ़ा दी है. सूरत को देश का डायमंड हब ( Diamond Hub) माना जाता है. और सूरत में हीरा तराशने से जुड़ी कई कंपनियों ने 2.5 लाख कारीगरों को छुट्टी पर भेज दिया है. इन कंपनियों के मुताबिक रूस की डायमंड कंपनी अलरोसा (Alrosa) से ये कच्चा हीरा आयात करते हैं और फिर इसे तराश कर उसका निर्यात करते हैं. अमेरिका ने अलरोसा (Alrosa) पर प्रतिबंध लगा दिया है. जबकि हीरा आयात में 30 फीसदी हिस्सेदारी अलरोसा की है. सूरत की डायमंड कंपनियों का कहना है कि फिलहाल उनके पास काम की कमी है ऐसे में मजदूरों को छुट्टी पर भेजने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
सूरत की डायमंड इंडस्ट्री में 15 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. जो इस सेक्टर में कुल रोजगार का 30 फीसदी है. कर्मचारी यूनियनों ( Labour Union) का कहना है छुट्टी पर भेजने का मकसद ये है कि इस दौरान कर्मचारियों को वेतन नहीं देना होगा. वहीं ये संकट खथ्म नहीं हुआ तो कंपनियां इन लोगों को रोजगार से निकाल भी सकती है.
संकट में जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर
भारत जेम्स एंड ज्वेलरी का सबसे बड़ा आयातक होने के साथ और निर्यातक भी है. डॉलर में मजबूती और रुपया में गिरावट का बुरा असर इस सेक्टर पर पड़ रहा है. देश की जेम्स एंड ज्वेलरी कंपनियां पहले सोने से लेकर डायमंड आयात करती हैं जिसके लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है. लेकिन महंगे डॉलर होने के बावजूद जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर से जुड़े एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है. क्योंकि डॉलर के मजबूती का लाभ निर्यातकों को तभी होगा तब बाजार में मांग होगी. लेकिन दुनियाभर के देश महंगाई से जुझ रहे हैं. ऐसे में मांग घटी हुई है. जो कच्चा डायमंड इंपोर्ट कर इन लेकर लोगों ने ज्वेलरी तैयार कर लिया उसकी मांग नहीं है. जिसकी वजह से इस सेक्टर के लोग परेशान है. मांग नहीं बढ़ने से इस सेक्टर में रोजगार का संकट खड़ा हो सकता है.
स्टार्टअप ने भी शुरू की छंटनी
दरअसल बीते कई सालों से देश के स्टार्टअप्स को विदेशी से प्राइवेट इक्विटी के माध्यम से खुब फंडिंग मिल रही थी. लेकिन डॉलर में मजबूती और वैश्विक आर्थिक हालात के मद्देनजर प्राइवेट इक्विटी इंवेस्टर्स अब पैसा डालने में हिचक रहे हैं. वैसे भी 100 में से केवल 23 यूनिकार्न को ही लाभ हो रहा है. यही वजह है कि जमकर रोजगार देने वाले स्टार्टअप भी अब छंटने कर रहे हैं. वेदांतू ने केवल मई में अब तक 600 से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाल चुका है. वहीं Cars24 भी 600 लोगों की छंटनी करने जा रहा है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में 5000 लोगों की आने वाले समय में छंटनी की जा सकती है.
महंगे कर्ज से रोजगार सृजन पर ग्रहण
दुनियाभर के सेंट्रल बैंक महंगाई के चलते ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा था. मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर के 6.95 फीसदी रहने के बाद आरबीआई को भी ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा. आरबीआई ऐसा नहीं करता तो निवेशक और ज्यादा बिकवाली करते जिससे रुपये में और कमजोरी आती. लेकिन आरबीआई के कर्ज महंगा करने का दुष्प्रभाव भी पड़ रहा. लोगों की ईएमई महंगी हो रही है. MSME से लेकर दूसरे उद्योगों के लिए कर्ज लेना महंगा हो रहा है. महंगे होम लोन के चलते रियल एस्टेट सेक्टर पर संकट गहरा सकता है क्योंकि हाउसिंग डिमांड में कमी आएगी. इसके प्रभाव कंस्ट्रक्शन क्षेत्र से जुड़े सभी सेक्टर्स में रोजगार सृजन पर असर पड़ सकता है.
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