देश में जारी लोकसभा चुनाव के बीच एक बार फिर से वेल्थ टैक्स की मांग जोर पकड़ रही है. आर्थिक असमानता यानी अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई के मद्देनजर लंबे समय से अमीर लोगों पर अलग से टैक्स लगाने की मांग उठती रही है. अब एक रिसर्च में भारत में अमीर लोगों पर वेल्थ टैक्स लगाने की वकालत ने बहस फिर से तेज कर दी है.


‘भारत में अत्यधिक असमानता को दूर करने के लिए वेल्थ टैक्स पैकेज का प्रस्ताव’ शीर्षक से प्रकाशित इस रिसर्च रिपोर्ट को तैयार करने में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने भी योगदान दिया है. रिसर्च पेपर में अमीर लोगों के ऊपर 2 फीसदी की दर से वेल्थ टैक्स लगाने की सिफारिश की गई है. इसके साथ ही रिसर्च में 33 फीसदी इनहेरिटेंस टैक्स की भी पैरवी हुई है.


रिसर्च पेपर में इन टैक्स की वकालत


अमीर लोगों पर टैक्स लगाने की यह वकालत नेट वेल्थ 10 करोड़ रुपये से ज्यादा होने की स्थिति में की गई है. रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों की नेट वेल्थ 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उनके ऊपर 2 फीसदी वेल्थ टैक्स और 33 फीसदी इनहेरिटेंस टैक्स लगाने की जरूरत है. इससे आर्थिक असमानता को दूर करने मे मदद मिल सकती है. साथ ही अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा मिल सकता है. इससे सरकार को राजस्व में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 2.73 फीसदी के बराबर भारी-भरकम कमाई हो सकती है.


चुनाव के बीच सामने आई रिपोर्ट


अमीरों पर टैक्स लगाने की सिफारिश करने वाली यह रिसर्च रिपोर्ट ऐसे समय प्रकाशित हुई है, जब देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. पिछले डेढ़ महीने से जारी प्रक्रिया के तहत आज शनिवार को छठे चरण का मतदान हो रहा है. इसके बाद 1 जून को सातवें व अंतिम चरण की वोटिंग होगी. उसके बाद 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे जारी किए जाएंगे.


बहुत कम लोगों पर होगा असर


रिसर्च पेपर में अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर भारत में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की नेट वेल्थ वाले लोगों पर प्रस्तावित टैक्स लगाए जाते हैं, तो उससे बहुत कम लोगों पर असर होने वाला है. रिपोर्ट के अनुसार, दोनों प्रस्तावित टैक्स से 99.96 फीसदी व्यस्क लोग अप्रभावित रहेंगे, क्योंकि 10 करोड़ से ज्यादा की शुद्ध संपत्ति वाले लोगों का प्रतिशत बेहद कम है.


इतनी ज्यादा हुई आर्थिक असमानता


दरअसल भारत में आर्थिक असमानता को लेकर कई रपटों व अनुसंधानों में चितांए जताई जा चुकी हैं. इस रिसर्च में भी कहा गया है कि 2014-15 से 2022-23 के दौरान देश में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ी है और दौलत अमीर लोगों के पास जमा होते चली गई है. 2022-23 तक देश के महज 1 फीसदी अमीर लोगों के पास कुल संपत्ति का 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पड़ा था, जबकि वे कुल कमाई में 22.6 फीसदी के हिस्सेदार बन चुके थे. यह दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, अमेरिका समेत कई देशों की तुलना में काफी ज्यादा है.


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